वसंत पंचमी
श्वेत कमल विराज रही, वाहन हंसा श्वेत।
शुभ्र वस्त्र में शोभती, वीणा स्वर समवेत।।
शुभ्र वस्त्र में शोभती, वीणा स्वर समवेत।।
कुमति हरो माँ शारदे, दो प्रज्ञा वरदान।
वाक् अर्थ में प्रवीण हों, मिट जाय तम अज्ञान ।।
वाक् अर्थ में प्रवीण हों, मिट जाय तम अज्ञान ।।
गणतंत्र दिवस
आँख में स्वाभिमान का, हृदय गर्व का मन्त्र।
अक्षुण्ण कीर्ति से सदा, जगमग हो गणतंत्र ।।
रक्षा बंधन
अक्षुण्ण कीर्ति से सदा, जगमग हो गणतंत्र ।।
रक्षा बंधन
राखी बंधन प्यार का, सुन्दर इक उपहार।
कच्चे धागों में बंधा, छोटा - सा संसार ।।
कच्चे धागों में बंधा, छोटा - सा संसार ।।
लगा के माथे पर तिलक, बाँध कलाई प्यार।
रक्षा के विश्वास के, बहना जोड़े तार।।
शरद पूर्णिमा
शरत ऋतु की पूनम में , चाँद खिला आकाश।
दिखलाए सोलह कला, लगे खीर का प्राश।।
दिखलाए सोलह कला, लगे खीर का प्राश।।
Shalini rastogi

No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.