ख्वाब टूटे आस बिखरी , क्या क़यामत हो गई|
हाथ से तक़दीर फिसली, क्या क़यामत हो गई|
कल में रहे, कल में जिए, कल की बनाई योजना,
कल न आया आज ही, ये तो क़यामत हो गई|
दौड़ती थी
ज़िन्दगी , दौड़ता इंसान था
थम गया पल में सभी कुछ, क्या क़यामत हो गई|
लोग कहते हों भले, जो होना है हो कर रहे ,
अनहोनियाँ होने लगीं पर, क्या क़यामत हो गई|
शालिनी रस्तौगी