अच्छा होता है
कभी - कभी
धारा के साथ - साथ बहना
बिना प्रतिरोध
जो घट रहा है
उसे वैसे ही घटने देना
क्यों हर बार बाँध बांधे जाएँ?
क्यों हर बार धार को मोड़ा जाए?
क्यों धारा के विपरीत बहने का हमेशा
संघर्ष किया जाए ?
.... क्यों नहीं
जो घट रहा है उसे घट जाने दें,
जो बन रहा है उसे बन जाने दें
जो मिट रहा उसे मिट जाने दें
आखिर नियति को निर्धारित करने वाले
हम तो नहीं
तो क्यों किसी बात के लिए
दोष दें स्वयं को ?
क्यों औरों के लिए
रोक लें स्वयं को ?
न भूत पर वश, न भविष्य अपने हाथ
तो वर्तमान में जीना
जो हो रहा उसे होने देना
कभी कभी
अच्छा होता है ........
कभी - कभी
धारा के साथ - साथ बहना
बिना प्रतिरोध
जो घट रहा है
उसे वैसे ही घटने देना
क्यों हर बार बाँध बांधे जाएँ?
क्यों हर बार धार को मोड़ा जाए?
क्यों धारा के विपरीत बहने का हमेशा
संघर्ष किया जाए ?
.... क्यों नहीं
जो घट रहा है उसे घट जाने दें,
जो बन रहा है उसे बन जाने दें
जो मिट रहा उसे मिट जाने दें
आखिर नियति को निर्धारित करने वाले
हम तो नहीं
तो क्यों किसी बात के लिए
दोष दें स्वयं को ?
क्यों औरों के लिए
रोक लें स्वयं को ?
न भूत पर वश, न भविष्य अपने हाथ
तो वर्तमान में जीना
जो हो रहा उसे होने देना
कभी कभी
अच्छा होता है ........