कम से कम
इस साल तो
कुछ ऐसा नहीं होगा
कुछ दरिंदे करेंगे
इंसानियत का मुँह काला
हैवानियत के अट्टहास पे
नहीं सिसकेगी
मानवता
कम से कम
शायद
इस बार तो ऐसा नहीं होगा
सियासत फिर अपनी
बेशर्मी का लबादा ओड़
नहीं छिपती फिरेगी
नपुंसक से बहानों के पीछे
खोखले वादों के पीछे
झूठे आँसुओं और संवेदनाओं के पीछे
कम से कम
शायद
इस बार तो ऐसा नहीं होगा
अपने ही देश में
न्याय की गुहार लगाने पर
नहीं खानी पड़ेंगी लाठियाँ
अपने ही रक्षकों के हाथों
नहीं अब घसीटा जायेगा
लड़कियों को सड़कों पर
बेगैरती कुछ तो
गैरत में डूब जाएगी
शायद इस बार
शायद
इस साल
बेखौफ़ होगी जिंदगी
गुलज़ार होगा जीवन
सम्मानित मातृशक्ति
पायेगी निज गौरव
डरेगा न मन
बेटियों के बाहर जाने पर
कुछ आश्वासन दे
ए नव वर्ष
कि उल्लसित हो करें
हम भी तेरा स्वागत