अतरंगी इश्क
अतरंगी है तेरा इश्क ,
ज़िस्मानी से रूहानी ,
काले से सफ़ेद तक ,
हर रंग में सजा है तेरा इश्क ...
हाँ, सतरंगी है तेरा इश्क |
कभी हरे रंग में भीग
दिल की ज़मीं को
सूफ़ियाना देता है रंग
कभी केसरिया फूल-सा
भक्ति से महका जाता है मन|
कही मिलन का लाल,
कहीं जुदाई का धूसर
कहीं जलन में जामुनी - सा
रंग जाता है तेरा इश्क|
हाँ, सतरंगी है, अतरंगी है तेरा इश्क |
कहीं आसमानी बन
सागर औ फ़लक तक फ़ैल जाता ,
कभी गुलाबी काली-सा
होंठों में सिमट आता ,
कभी सितारों -सी रुपहली चमक लिए,
आँखों में चमकता है,
कभी सोने की रंगत -सा
देह पर बिखरता है|
धूप - छाँव - सा
छिपता -नज़र आता है इश्क़|
सरसों के फूलों - सा दिल में बसंत खिलाता ,
धानी धनक चुनरी पे छिड़क जाता,
उम्मीद की चमक से कभी उजला करता ,
बेउम्मीदी के स्याह रंग से कभी पोत जाता ,
हर पल नया रंग दिखता है इश्क
हाँ, अतरंगी है तेरा इश्क़