Friday, 18 October 2013

सवैया ( सुंदरी )


सवैया ( सुंदरी )
सगण x 8 + 1 गुरु 
हर रोज़ सुनाय कथा नव साजन, रोज़ करै नव एक बहाना|
सखि हार गई अब तो उनते, कह झूठन का कित कोय ठिकाना |
पल में फिरि जाय न याद रखे, कब जानत है वह बात निभाना |
अभिसार किये नित राह तकूँ, वह जानत सौतन सेज सजाना ||

28 comments:

  1. par nayika akele kaise abhisar kar leti hai? yah meri samjh mein nahin aaya.

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    1. अशोक मिश्रा जी , शायद अभिसार के अर्थ को लेकर आपके मन में कोई भ्रान्ति है .. अभिसार का अर्थ होता है प्रिय से मिलन के लिए नायिका द्वारा श्रृंगार करना ( स्वयम को सजाना संवारना )
      प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद!

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  2. अति सुन्दर रचना, इसमें भाव की अभिव्यक्ति अन्तस्तल की गहराईयों तक पहुंच रही है।

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  3. अति सुन्दर रचना, इसमें भाव की अभिव्यक्ति अन्तस्तल की गहराईयों तक पहुंच रही है।

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  4. सुन्दर रचना |

    मेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"

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  5. बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति, अति सुंदर !

    RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

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  6. अपने प्रिय की याद में तडपती प्रिया का सार्थक वर्णन। जब मुलाखातों में शिकायत तो कई बहाने। झूठ सहन किया जा सकता है कारण मिलन का आनंद होता है पर जब मुंह फिरते ही भूल जाना दर्द पैदा करता है। सौतन की सेज सजाने की बात तो प्रेयसी के प्रति बेईमानी का भाव लेकर आती है।

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  7. Meaning of अभिसार in Hindi:
    पुं० [सं० अभि√सृ(गति)+घञ्] १. किसी ओर आगे बढ़ना। २. किसी से मिलने के लिए उसकी ओर जाना। अभिसरण। ३. साहित्य में वह स्थान जहाँ प्रेमी और प्रेमिका गुप्तरूप से पहुँचकर मिलतें है। ४. मेल। मिलाप। उदाहरण—मुखरित था कलरव, गीतों में स्वर लय का होता अभिसार।—प्रसाद। ५. आक्रमण। ६. युद्ध। ७. अनुचर। अनुयायी। ८. सहारा। ९. बल। शक्ति। १. आधुनिक पुंछ और रजौड़ी के आसपास के प्रदेश का पुराना नाम

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  8. meri baat ka bura mat maniyega, yah ek swasth salah, utsukta ya sanvad bhar hai. nisandeh aapki kavitayen achchhi hain.

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  9. kabhi vyangy padhne ka mood ho, to
    http://katarbyont.blogspot.in
    hajir hai.

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  10. नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (20-10-2013) के चर्चामंच - 1404 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  11. priy ke viyog se utpann bhawon ka sundar warnan ....

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  12. bahut sundar rachna hai..
    aap sabhi ka mere blog par bhi swagat hai..ek baar jarur padharen..
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

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  13. भाव की अविरल धारा बह रही हो जैसे ... मधुर सवैया प्रिय की याद में ...

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  14. अभिसार किये नित राह तकूं, वह जानत सौतन सेज सजाना।
    बहुत ही सुंदर।

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  15. आपका ‘सुंदरी सवैया’ छंद की कसौटी पर बिल्कुल सही है। 8 सगण, 1 गुरू, कुलमिलाकर 25 वर्ण। करेक्ट है। आपके मन में संदेह पैदा हो रहा है ‘अभिसार’ को लेकर। अशोक मिश्रा जी की बात अपनी जगह पर ठीक है कारण वे शब्द को शब्दकोश की कसौटी पर आंक रहे हैं पर कविता में कवि के भाव और अर्थ की एहमियत होती है। अशोक जी ने शब्द को पकडकर सवैया के मूल भावार्थ को नजरंदाज किया है। और एक सृजनकर्ता के नाते आपकी बेचैनी को समझा जा सकता है।
    आपके सुंदरी सवैया में ‘अभिसार’ को दो अन्य शब्द छिपकर जुड जाते हैं जो अर्थ और औचित्य को स्पष्ट करते हैं, वे हैं – ‘अभिसारिका’ और ‘अभिसारी’। ‘अभिसार’ का मूल अर्थ ‘प्रिय मिलन के लिए संकेत स्थल पर जाना’ है। ‘अभिसारिका’ – वह नायिका जो निश्चित मिलन स्थान पर प्रिय मिलन के लिए जाए’ तथा ‘अभिसारी’ – मिलन स्थल पर जाने वाला नायक। इन शब्दों के अन्य भी अर्थ हैं पर आपके सुंदरी सवैया में इन्हीं अर्थों का ताल्लुक है।
    आपने अशोक मिश्रा जी की प्रतिक्रिया के उत्तर में लिखा है कि ‘प्रिय मिलन के लिए नायिका द्वारा शृंगार करना (स्वंय को सजाना - संवारना)। सुंदरी सवैया के अंतिम चरण का अर्थ बिल्कुल साफ है कि नायिका जहां नायक को मिला करती है वहां वह बन-ठनके जाती है पर वह इंतजार कर थक निराशा स्वरूप कहती है ‘वह जानत सौतन सेज सजाना।’ इस छंद में सजधजके शृंगार करके प्रिय मिलन के लिए संकेत स्थल पर जाना अर्थ पकड में आता है इससे विशेष अर्थ और सौंदर्य की प्राप्ति होती है।

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    1. डॉ. विजय जी , आपने अपनी प्रतिक्रिया में इतनी स्पष्टता के साथ मेरे संशय को दूर किया है कि आपका आभार व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं ...

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  16. इस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-22/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -32 पर.
    आप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा

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  17. बहुत ही सुन्दर रचना। आभार।

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  18. अति सुंदर ..बार बार पढ़ा |सुंदर सवैया |

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  19. मेरे ब्लॉग कि नयी पोस्ट आपके और आपके ब्लॉग के ज़िक्र से रोशन है । वक़्त मिलते ही ज़रूर देखें ।
    http://jazbaattheemotions.blogspot.in/2013/11/10-4.html

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