क्या करूँ समर्पित
पितृ दिवस पर
क्या लिखूँ, क्या करूँ समर्पित
कैसे दूँ शब्द भावों को मन के
मात्र बचपन की कुछ यादें नहीं तुम
कैशोर्य का लड़कपन, यौवन का मार्गदर्शन हो .
हर कदम पर साथ चले जो
ऐसी घनेरी, स्नेहल छाया हो तुम
हाँ, मेरे अपने वृक्ष हो तुम
हर ताप-संताप स्वयं सह
अपनी अमृत धारा से सरसाते
हाँ मेरे अपने बादल हो तुम
बचपन से अब तक , हर कदम पर
स्थिरता दे क़दमों को मुझे संभाला
निर्भय हो जिस पर पग रखती
हाँ, मेरे अपने धरातल हो तुम
क्या लिखूँ, कैसे कुछ शब्दों में
बखान करूँ तुम्हारा
क्या करूँ समर्पित
पितृ दिवस पर