कहाँ हर किसी की तरफ उसकी नज़र जाए है
एक नज़र देख ले किस्मत उसकी संवर जाए है
कुछ ऐसा नूर है उसमें, ऐसी अदा पायी है
जो भी देखे है नज़र, उसपे ठहर जाए है
पिघलते कांच-सा वो बह रहा रगों में मेरी
कभी दिल में तो कभी खूँ में उतर जाए है
जिन्दा कहाँ है हम जो तुझे जल्दी है पड़ी
दो घड़ी रुक ऐ मौत, कि वो ठहर जाए है
अजीब शै है मुहब्बत नींद गई चैन गया
साँस जाने में बस अब, कोई कसर जाए है
है खौफज़दा खुद दहशत भी दहशतगर्दों से
सामने देख इन्हें मुड़ खुद ही कहर जाए है
तल्खियों ने किया दुश्वार मयकशी को मेरी
बूंद उतरे गले में तो लगे जैसे जहर जाए है
ऐशाइशें जुड़ीं हों भले दुनिया की घरों में
एक माँ न हो तो परिवार बिखर जाए है
नूर ऐ इलाही है रोशन ज़र्रे-ज़र्रे में जहाँ के
वो ही वो है बस जहाँ तक नज़र जाए है
महफ़िल ऐ शम्मा में ज़िक्र हो परवानों का
सबसे पहले मेरा ही, किया जिकर जाए है
अजब सी ताज़गी है कि तुझे सोच भी लूँ
चहरे से शिकन, जेहन से फिकर जाए है
मरने से पहले एक मुलाकात का वादा था
इन्तेज़ार उनको कब मेरे मरने की खबर आए है
आज शब उसने मिलने का पैगाम दिया है
आँखों ही आँखों में बीता हरेक पहर जाए है