खुदा करे कभी, यों भी बसर हो जाये
नींद तेरी उड़े ,और सुकून से हम सोया करें
तडपे तू भी हर पल हमसे मिलने को कभी
बेखबर हो हम तुझसे और चैन दिल को मिले
एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है दिल में आज
वो टूट के चाहे और हम , बेवफा हो जाएँ
उनके लब औ नाम मेरा , या खुदा कहीं सपना तो नहीं.
क्योंकर गुमाँ ये दिल को हुआ, पुकारा किसी ने हौले से सही .
हों सफर में भले तनहा ही , साया अपना मगर साथ होता है.
हमसफ़र के गुमाँ में अक्सर, सफर तनहा ही तमाम होता है .
वो टूट के चाहे हमे और हम बेवफा हो जाये........कुछ अलग......पर खुदा करे ऐसा कभी न हो :-)
ReplyDeleteगजब का लिख दीं हैं मैम!
ReplyDeleteसादर
एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है दिल में आज
ReplyDeleteवो टूट के चाहे और हम , बेवफा हो जाएँ
wah...kya likha hai
Welcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली
एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है दिल में आज
ReplyDeleteवो टूट के चाहे और हम , बेवफा हो जाएँ ...
बहुत खूब ... कमाल का शेर बाई ... लाजवाब ...
एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है दिल में आज
ReplyDeleteवो टूट के चाहे और हम , बेवफा हो जाएँ
BAHUT ACHHA LIKHA HAI APNE ...ABHAR SHALINI JI . HAN AK SHER YAD AA GYA ....
हम बावफा थे इस लिए नज़रों से गिर गए |
शायद उसे तलाश किसी बेवफा की थी ||
वाह!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है दिल में आज
ReplyDeleteवो टूट के चाहे और हम , बेवफा हो जाएँ ...
bahut khubsurat pnkti...!!lajabab
शालिनी जी..
ReplyDeleteइस अजीब सी ख्वाहिश का सबब क्या है ...
इश्क है तो शिकायत है ...या इश्क से ही शिकायत है ..!
अच्छा लगा आपको पहली बार पढ़कर ....प्रदीप
एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है दिल में आज
ReplyDeleteवो टूट के चाहे और हम , बेवफा हो जाएँ ... waah , kya baat kahi hai
बढ़िया..///इसे भी देखे :- http://hindi4tech.blogspot.com
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्दों में आपने अपने मन के भाव को बा्घा है.....सुन्दर
ReplyDeleteवाह साथ को जिन शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है वह प्रसंशनीय है .....!
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