कष्ट देता है अक्सर
भावों को पी जाना
बहुत कुछ कहना चाह कर भी
कुछ नहीं कह पाना|
भाव, जो शब्द बन
जुबान से निकल नहीं पाते हैं |
तेज़ाब बन कर के वो
हलक में उतर जाते हैं|
अन्दर ही अन्दर
खौलते बुदबुदाते हैं|
कहीं औरों तक न पहुँचे
आँच उनकी
यही सोच कर निशब्द
खुद ही जल जाते हैं|
किसी भाव का यूँ
अंतस में मर जाना
अक्सर
बहुत कष्ट देता हैं|
~~~~~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी
भावों को पी जाना
बहुत कुछ कहना चाह कर भी
कुछ नहीं कह पाना|
भाव, जो शब्द बन
जुबान से निकल नहीं पाते हैं |
तेज़ाब बन कर के वो
हलक में उतर जाते हैं|
अन्दर ही अन्दर
खौलते बुदबुदाते हैं|
कहीं औरों तक न पहुँचे
आँच उनकी
यही सोच कर निशब्द
खुद ही जल जाते हैं|
किसी भाव का यूँ
अंतस में मर जाना
अक्सर
बहुत कष्ट देता हैं|
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शालिनी रस्तौगी
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