Sunday, 14 May 2017

नार मनोहर



सवैया 
सोहत नार मनोहर मोहक, मोह लियो मन सारि गुलाबी।
बैन बने महुआ मदिरा सम, चैन चुरावत नैन शराबी।
चाल चले मनमोहक वेणि हिले कटि ठाठ दिखाय नवाबी।
कौन सखी तुझ-सा बतला अब कौन मिले तुझसा रि जवाबी।
~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी

6 comments:

  1. दिनांक 16/05/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
    आप की प्रतीक्षा रहेगी...

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    1. हार्दिक आभार कुलदीप जी

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  2. वाह ! ,बेजोड़ पंक्तियाँ ,सुन्दर अभिव्यक्ति ,आभार।

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    Replies
    1. धन्यवाद ध्रुव सिंह जी

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  3. Replies
    1. धन्यवाद सुशील जी

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