अच्छा नहीं होता
ध्रुवीकरण
चाहे सत्ता का हो,
या फिर विचारों का।
जब एकमुखपेक्षी हो जाते हैं
विचार
स्वतन्त्र नहीं रहते।
घूम कर-फिर कर
फिर फिर लौट आते हैं
अपने केंद्र के पास।
सीमाएँ तोड़
नहीं बन पाते अनंत।
शून्य में विचरते,
स्वयं शून्य हो जाते हैं।
स्वयं अपने हाथों से थमा
अपनी बागडोर
किसी के अधीन जब हो जाते हैं।
न गत्यात्मकता रहती
न चलायमान रह पाते।
बदलाव की चाहत में,
एक केंद्र को छोड़
दूसरे केंद्र से बंध जाना
परिवर्तन नहीं होता।
हाँ ध्रुवीकरण
विचारों का हो या सत्ता का
अच्छा नहीं होता।
~~~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी
ध्रुवीकरण
चाहे सत्ता का हो,
या फिर विचारों का।
जब एकमुखपेक्षी हो जाते हैं
विचार
स्वतन्त्र नहीं रहते।
घूम कर-फिर कर
फिर फिर लौट आते हैं
अपने केंद्र के पास।
सीमाएँ तोड़
नहीं बन पाते अनंत।
शून्य में विचरते,
स्वयं शून्य हो जाते हैं।
स्वयं अपने हाथों से थमा
अपनी बागडोर
किसी के अधीन जब हो जाते हैं।
न गत्यात्मकता रहती
न चलायमान रह पाते।
बदलाव की चाहत में,
एक केंद्र को छोड़
दूसरे केंद्र से बंध जाना
परिवर्तन नहीं होता।
हाँ ध्रुवीकरण
विचारों का हो या सत्ता का
अच्छा नहीं होता।
~~~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी
No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.