Friday, 12 May 2017

ध्रुवीकरण

अच्छा नहीं होता 
ध्रुवीकरण 
चाहे सत्ता का हो,
या फिर विचारों का।
जब एकमुखपेक्षी हो जाते हैं
विचार
स्वतन्त्र नहीं रहते।
घूम कर-फिर कर
फिर फिर लौट आते हैं
अपने केंद्र के पास।
सीमाएँ तोड़
नहीं बन पाते अनंत।
शून्य में विचरते,
स्वयं शून्य हो जाते हैं।
स्वयं अपने हाथों से थमा
अपनी बागडोर
किसी के अधीन जब हो जाते हैं।
न गत्यात्मकता रहती
न चलायमान रह पाते।
बदलाव की चाहत में,
एक केंद्र को छोड़
दूसरे केंद्र से बंध जाना
परिवर्तन नहीं होता।
हाँ ध्रुवीकरण
विचारों का हो या सत्ता का
अच्छा नहीं होता।
~~~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी

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