अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
प्रेम पगी रस में लिपटी, हर बात (सवैया - मत्तगयन्द)
सवैया (मत्तगयन्द)
प्रेम पगी रस में लिपटी, हर बात पिया सुन लागत तेरी| लाज हया बिसराय सबै, फिरती अब काठ भई मति मेरी | मोहन मोह लियो जब जी, तन भी गह ले अब कैसन देरी| जीवन जाय अकारथ ये सगरा तुमने अँखियाँ जदि फेरी ||
सात भगण और दो गुरु । मत्तगयन्द छन्द । शालिनी जी , यह आपके द्वारा रचित है --यह पूछना सभ्यता के विरुद्ध है लेकिन आज वार्णिक छन्द , वह भी इतना दोषरहित और सरस कि लगता ही नही कि यह किसी रीतिकालीन कवि का सवैया नही है । बहुत ही सुन्दर ।
गिरिजा जी , सर्वप्रथम तो आपकी अनमोल टिपण्णी के लिए आभार, दूसरे यह , की अभी सवैया छंद सीखने की ही कोशिश कर रही हूँ, यदि छंद दोषमुक्त है , यह मेरे लिए बहुत प्रसन्नता का विषय है .. आप जैसे सुधिजन की टिप्पणियां आगे सीखने के लिए प्रेरित करती हैं .. धन्यवाद!
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...!
ReplyDeleteRECENTPOST- आँसुओं की कीमत.
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन क्या होता है काली बिल्ली के रास्ता काटने का मतलब - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सात भगण और दो गुरु । मत्तगयन्द छन्द । शालिनी जी , यह आपके द्वारा रचित है --यह पूछना सभ्यता के विरुद्ध है लेकिन आज वार्णिक छन्द , वह भी इतना दोषरहित और सरस कि लगता ही नही कि यह किसी रीतिकालीन कवि का सवैया नही है । बहुत ही सुन्दर ।
ReplyDeleteगिरिजा जी , सर्वप्रथम तो आपकी अनमोल टिपण्णी के लिए आभार, दूसरे यह , की अभी सवैया छंद सीखने की ही कोशिश कर रही हूँ, यदि छंद दोषमुक्त है , यह मेरे लिए बहुत प्रसन्नता का विषय है .. आप जैसे सुधिजन की टिप्पणियां आगे सीखने के लिए प्रेरित करती हैं .. धन्यवाद!
Deletedhanyvaad rajeev ji
ReplyDeleteसुन्दर ... :)
ReplyDeleteबेहद उम्दा रचना अनुपम भाव संयोजन के साथ
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeletebahut sundar.........
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