बाँसुरिया बन जाऊँ, सवैया ( मत्तगयन्द )
सवैया ( मत्तगयन्द )
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आ अधरान मुझे धर मोहन मैं फिर बाँसुरिया बन जाऊँ |
स्पर्श करो तुम रंध्र हिया जब मैं तब बाँबरिया बन जाऊँ |
मान तजूँ तुझ में मिल के तुझ सी अब साँवरिया बन जाऊँ |
आस नहीं मन कंठ लगूँ पग में पड़ झाँझरिया बन जाऊँ ||
khoobsurat rachna ...
ReplyDeleteभावों की अभिव्यक्ति प्रबल है ..
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