Monday, 24 February 2014

बाँसुरिया बन जाऊँ, सवैया ( मत्तगयन्द )

सवैया ( मत्तगयन्द )

~~~~~~~~~~~~



आ अधरान मुझे धर मोहन मैं फिर बाँसुरिया बन जाऊँ |

स्पर्श करो तुम रंध्र हिया जब मैं तब बाँबरिया बन जाऊँ |

मान तजूँ तुझ में मिल के तुझ सी अब साँवरिया बन जाऊँ |

आस नहीं मन कंठ लगूँ पग में पड़ झाँझरिया बन जाऊँ ||

2 comments:

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks