Sunday, 2 February 2014

सुर्खियाँ


सुर्खियाँ
अखबारों में,
न्यूज़ चैनलस् पर,
ख़बरें बेहिसाब पर मुद्दा एक
दरिंदों की वहशत एक
शिकार अलग अलग
हर उम्र, हर अवस्था, हर परिवेश से
गाँव, गली, पड़ोस या विदेश से
शर्त सिर्फ एक
शरीर औरत का हो
फिर देखो,
कैसे किया जाता है तार तार
उसकी इज़्ज़त, उसकी रूह, उसके जिस्म को
होड़ लगी है दरिंदगी की
कौन आगे निकलता है
अपने नपुंसक पुरुषत्व के मद में
उस बेबस जिस्म पर
हैवानियत के ज़्यादा से ज़्यादा निशान छोड़
उसकी आत्मा को पूरा मार
और शरीर को अधमरा छोड़
करता अट्टहास
रच शैतानियत का नया इतिहास
बना देता है उन्हें
औरतों, लड़कियों, बच्चियों से
अखबारों, न्यूज़ चैनलस् की
सुर्खियाँ .........
~शालिनी रस्तोगी ~

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