Friday, 12 May 2017

साफ़गोई से हरेक अब बात होनी चाहिए - ग़ज़ल

ग़ज़ल
अब न कोई पीठ पीछे घात होनी चाहिए
साफ़गोई से हरेक अब बात होनी चाहिए
हर ऐरे गैरे के बस का ये पागलपन है नहीं 
इश्क फरमाने की भी औकात होनी चाहिए
फ़र्क क्यों हो आदमी के बीच कोई धर्म का
एक ही बस इंसानियत की जात होनी चाहिए
घर किसी मजलूम का महरूम खुशियों से न हो
हर के घर में खुशियों की सौगात होनी चाहिए
बात तब है सर उठा संसार में नेकी चले
औ बदी की ही हमेशा मात होनी चाहिए
रात मावस की अगर जो चाँद से महरूम हो
आसमां में तारों की बारात होनी चाहिए
देश के हालात से कोई न अब गाफ़िल रहे
हर मुआमले की ही मालूमात होनी चाहिए
~~~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks