Tuesday 1 May 2012

ख्वाब बन आंखों में  समाओ, पलकों पे सजो,
हकीकत बन रातों की नींद न उड़ाओ तो अच्छा है .
ख्यालों के इन्द्रधनुष सजाओ, रंगीन परों  पे तिरो,
असलियत की सख्त ज़मीं न दिखाओ तो अच्छा हो .






8 comments:

  1. बेहतरीन


    सादर

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  2. बहुत सुंदर........................

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  3. सुन्दर भाव शानदार प्रस्तुति।

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  4. बहुत बढ़िया लाजबाब प्रस्तुति, सुंदर भावपूर्ण रचना,.....

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

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  5. शालिनी जी, आपका फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,..

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

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  6. यशवंत जी, रश्मि जी , अनु जी , इमरान जी, धीरेन्द्र जी, दिगंबर जी आप सभी का हार्दिक आभार !

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

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