ख्वाब बन आंखों में समाओ, पलकों पे सजो,
हकीकत बन रातों की नींद न उड़ाओ तो अच्छा है .
ख्यालों के इन्द्रधनुष सजाओ, रंगीन परों पे तिरो,
असलियत की सख्त ज़मीं न दिखाओ तो अच्छा हो .
हकीकत बन रातों की नींद न उड़ाओ तो अच्छा है .
ख्यालों के इन्द्रधनुष सजाओ, रंगीन परों पे तिरो,
असलियत की सख्त ज़मीं न दिखाओ तो अच्छा हो .
बेहतरीन
ReplyDeleteसादर
sundar bhaw
ReplyDeleteबहुत सुंदर........................
ReplyDeleteसुन्दर भाव शानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लाजबाब प्रस्तुति, सुंदर भावपूर्ण रचना,.....
ReplyDeleteMY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
शालिनी जी, आपका फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,..
ReplyDeleteMY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
क्या बात है ...
ReplyDeleteयशवंत जी, रश्मि जी , अनु जी , इमरान जी, धीरेन्द्र जी, दिगंबर जी आप सभी का हार्दिक आभार !
ReplyDelete