फेस बुक पर कमेन्ट कर रही थी की कुछ पंक्तियाँ स्वतः ही बनती चली गईं.........
मेरी गलती थी कि गुनाह, जो टूट के चाहा तुझे
मेरी गलती थी कि गुनाह, जो टूट के चाहा तुझे
एक बुत ए संग से, जो खुदा बनाया तुझे
मैंने तो सौंप दी, डोर जीवन की, तेरे हाथों में
तूने कठपुतली की मानिंद, ता उम्र नचाया मुझे
बन के शमा जिसकी चाहत में, जलाया खुद को
वीरान स्याह रातों की , वो दे गया सौगात मुझे
कदम कदम पे चरागा किये, रौशन करने को राहें
उसकी ही फूँक से इबदात खाने के चिराग बुझे
वीरान स्याह रातों की , वो दे गया सौगात मुझे
कदम कदम पे चरागा किये, रौशन करने को राहें
उसकी ही फूँक से इबदात खाने के चिराग बुझे
वाह.................
ReplyDeleteबहुत सुंदर .........
बन के शमा जिसकी चाहत में, जलाया खुद को
वीरान स्याह रातों की , वो दे गया सौगात मुझे
लाजवाब.....
बन के शमा जिसकी चाहत में, जलाया खुद को
ReplyDeleteवीरान स्याह रातों की , वो दे गया सौगात मुझे
बहुत खूब मैम!
सादर
वाह............
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
बन के शमा जिसकी चाहत में, जलाया खुद को
वीरान स्याह रातों की , वो दे गया सौगात मुझे
दर्द भरी अभिव्यक्ति...
अनु
ek gunaah paidaa kartaa hai sailaab zindgee mein
ReplyDeleteबिलकुल सही फ़रमाया आपने राजेन्द्र जी!
Deleteबहुत खूब ....
ReplyDeleteवाह बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने शानदार....वक़्त मिले तो ब्लॉग पर भी आयें।
ReplyDeleteबन के शमा जिसकी चाहत में, जलाया खुद को
ReplyDeleteवीरान स्याह रातों की , वो दे गया सौगात मुझे... waah
मेरी गलती थी कि गुनाह, जो टूट के चाहा तुझे
ReplyDeleteएक बुत ए संग से, जो खुदा बनाया तुझे
वाह ... बहुत खूब
अनु जी, यशवंत जी, संगीता जी, राजेन्द्र जी, इमरान जी, रश्मि जी, सदा जी .......हौंसला अफजाई के लिए आप सबका शुक्रिया!
ReplyDeleteमैंने तो सौंप दी, डोर जीवन की, तेरे हाथों में
ReplyDeleteतूने कठपुतली की मानिंद, ता उम्र नचाया मुझे ...
प्रेम का अंत तो ये होना ही है ... बहुत ही बढ़िया रचना है ...
सुंदर शब्दों में जज्बातोँ को उकेरा......बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन..
ReplyDeleteबन के शमा जिसकी चाहत में, जलाया खुद को
ReplyDeleteवीरान स्याह रातों की , वो दे गया सौगात मुझे
vakai bahut sundar gazal ...badhai sweekaren Shalini ji hr sher me gahari kashish .
ख़ूबसूरत भाव, सुन्दर रचना.
Deleteकृपया मेरी १५० वीं पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें , अपनी राय दें , आभारी होऊंगा .
मैंने तो सौंप दी, डोर जीवन की, तेरे हाथों में
ReplyDeleteतूने कठपुतली की मानिंद, ता उम्र नचाया मुझे
बहुत खूब ... ये तो अदा है उनकी ...
लाजवाब शेर है ..
सुंदर रचना ....
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