Friday 18 May 2012

सिर्फ लिखने के लिए लिखना


सिर्फ लिखने के लिए लिखना 
कितना सार्थक है 
कितना है निरर्थक 
बिन सोचे, बिन जाने 
सिर्फ कुछ कागज रंगना

हर बार का धोखा 
हर बार गलतफहमी
शायद इस बार 
बात दिल की हमने 
लफ्ज़ ब लफ्ज़ 
बिलकुल सही कह दी 

वाकई
क्या उकेर पाते है हम 
अपने ज़ज्बातों को 
पोशीदा ख्यालातों को 

जानते है हम भी कि 
कलम कि नोक तक आते 
हज़ार रंग बदल लेती है ख्वाहिशें 
बात बदलती है तो 
रुख नया इख्तियार 
करती है हैं हसरतें 

फिर भी करते हम दावा
दिल बात जहाँ को 
समझाने का 
शब्दों से खिलवाड़ कर 
शायर, कवि, लेखक 
बन जाने का 

काश!
 इतनी कुव्वत देता खुदा 
इंसान कर पाता जो खुद को बयां 
कम से कम 
एक इंसान दूसरे को तो समझ पाता............





22 comments:

  1. काश!
    इतनी कुव्वत देता खुदा
    इंसान कर पाता जो खुद को बयां
    कम से कम
    एक इंसान दूसरे को तो समझ पाता.........

    सटीक लिखा है ... सुंदर रचना

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  2. काश!
    इतनी कुव्वत देता खुदा
    इंसान कर पाता जो खुद को बयां
    कम से कम
    एक इंसान दूसरे को तो समझ पाता............

    बहुत सही लिखी हैं मैम!

    सादर

    ReplyDelete
  3. जानते है हम भी कि
    कलम कि नोक तक आते
    हज़ार रंग बदल लेती है ख्वाहिशें
    बात बदलती है तो
    रुख नया इख्तियार
    करती है हैं हसरतें ... बेहद संजीदा भावनाएं

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद रश्मि जी!

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  4. सिर्फ लिखने के लिए लिखना
    कितना सार्थक है
    कितना है निरर्थक
    बिन सोचे, बिन जाने
    सिर्फ कुछ कागज रंगना,,,,

    बहुत सुंदर सार्थक रचना,..अच्छी प्रस्तुति,,,,शालनी जी,.....

    MY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,
    MY RECENT POST,,,,फुहार....: बदनसीबी,.....

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  5. काश.....मुझे लगता है कि दूसरे से कहीं ज्यादा मुश्किल खुद को समझना है.....सुन्दर लगी पोस्ट।

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    Replies
    1. बिलकुल सही कहा इमरान जी आपने.....

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  6. "काश!
    इतनी कुव्वत देता खुदा
    इंसान कर पाता जो खुद को बयां "
    बहुत सुंद्र लिखा है शालिनी मैम ! बधाई !

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    Replies
    1. धन्यवाद सुशीला जी!

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  7. यहाँ तो अपनी कहने के होड़ में हम कभी कभी सिर्फ दूसरे की बात ख़त्म होने के इंतज़ार में होते हैं .....की अपनी कह सकें...सच एक दूसरे को समझना तो दूर उसकी सुन ही लें तब भी ग़नीमत है .....सुन्दर

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    Replies
    1. बिलकुल सही कहा सरस जी, कितनी ही बार ऐसा लगता है की सब अपनी बात सुना रहे हैं...कोई किसी की बात सुन नहीं रहा...

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  8. bilkil sahi kaha...yatharthparak vichar.....sundar

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  9. बहुत सुन्दर रचना...

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  10. kya baat hai shalini ma'am........ bahut khoob....

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