मैं प्रेम कहानियाँ सुनाती हूँ
सुनोगे .......?
हर तरह की प्रेम कहानियाँ हैं मेरे पास
बताओ, किस तरह की कहानियाँ पसंद हैं तुम्हें?
लैला-मजनू, हीर-राँझा, शीरी-फरहाद
शुरू से आख़िर तक, हरेक कहानी
याद है मुझे मुँह-ज़ुबानी
क्या कहा? ... ये सभी कहानियाँ है आधी-अधूरी
आँसू, कसक, आहें, तड़प ,
कभी न मिल पाने की इनमें छिपी मजबूरी|
अरे जनाब! अधूरी हैं, तभी तो हैं प्रेम कहानियाँ !
मुकम्मल हो जातीं तो न बचता प्रेम, न बचती ये कहानियाँ|
चलो फिर, सफ़ेद संगेमरमर के मकबरे में,
चाँदनी की शीतल चादर में लिपटी प्रेमकथा सुनोगे ?
प्रेम ... और उस कथा में ... रहने भी दो !
असलियत का के आफ़ताब में सच्चाई को देखो ..
उफ्फ, बहुत डिमांडिंग हो तुम तो ...
चलो छोडो पुराने किस्से, कुछ नई कहानियाँ भी हैं मेरे पास
ऐसी कहानियाँ .. जिन्हें बड़े सँभालकर,
टुकड़ों-टुकड़ों में काट, पोलीथिन में लपेट
बर्फ की तहों में जमाया गया है|
कहीं तालाबों की गहराइयों में छिपाया,
कहीं तन्दूरों में सुलगाया,
कहीं पेड़ों पर लटकाया गया है|
जंगल-जंगल बिखेरा है, टुकडे-टुकड़े प्रेम,
तो देख रहे हो ना,
हर जगह है प्रेम ....
आखिर कुछ भी हो
कमी नहीं पड़नी चाहिए प्रेम की
जगलों में बिखरे उन टुकड़ों को चुनकर
मैं हर उस रिसते, गलते, जलते, गंधाते टुकड़े से
पूछती हूँ उसके प्रेम के किस्से
आखिर, सुनानी हैं जो तुम्हें
प्रेम कहानियाँ ....
~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी
11/12/22
Like
Comment
Share

No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.