Thursday, 19 May 2022

अतरंगी इश्क

 अतरंगी इश्क 



अतरंगी है तेरा इश्क ,

ज़िस्मानी से रूहानी ,

काले से सफ़ेद तक ,

हर रंग में सजा है तेरा इश्क ...

हाँ, सतरंगी है तेरा इश्क |

कभी हरे रंग में भीग 

 दिल की ज़मीं को 

सूफ़ियाना  देता है रंग

कभी केसरिया फूल-सा 

भक्ति से महका जाता है मन|

कही मिलन का लाल,

कहीं जुदाई का धूसर 

कहीं जलन में जामुनी - सा 

रंग जाता है तेरा इश्क|

 हाँ, सतरंगी है, अतरंगी है तेरा इश्क |

कहीं आसमानी बन 

सागर औ फ़लक तक फ़ैल जाता ,

कभी गुलाबी काली-सा 

होंठों में सिमट आता ,

कभी सितारों -सी रुपहली चमक लिए,

आँखों में चमकता है,

कभी सोने की रंगत -सा 

देह पर बिखरता है|

धूप - छाँव  - सा  

छिपता -नज़र आता है इश्क़|

सरसों के फूलों - सा दिल में बसंत खिलाता ,

धानी धनक चुनरी पे छिड़क जाता, 

उम्मीद की चमक से कभी उजला करता ,

बेउम्मीदी के स्याह रंग से कभी पोत जाता ,

हर पल नया रंग दिखता है इश्क 

हाँ, अतरंगी है तेरा इश्क़



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