जुदा मुझसे मुझे कर जो गईं आँखें
मेरी पहचान अब बन वो गईं आँखें .
मुहब्बत की कहानी कब से अटकी
रवाँ अश्कों में कर उसको गईं आँखें
न खौफ़ से जमाने के डरीं ज़रा
न डरके ये झुकीं, अड़ तो गईं आँखें
न थी दास्ताँ बड़ी आसाँ बयाँ करनी
सुनाती मुख़्तसर में जो गईं आँखें
पलक अंदाज नज़रों से हमें देखा
जिगर से रूह तक बस वो गईं आँखें
खुमारी थी,नशा था, सुर्ख डोरों में
बिना मै के , नशे में खो गईं आँखे
वाह वाह वाह वाह बहुत ही दमदार ग़ज़ल क्या कहने नैनों की नजाकत का बहुत ही सुन्दरता से वर्णन किया है आपने. दिली दाद कुबूल फरमाएं.
ReplyDeleteधन्यवाद अरुण!
Deleteबहुत खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया संगीता जी!
Deleteबहुत सुन्दर ...!!
ReplyDeletedhanyvaad anupama ji !
Deleteबहुत अच्छे भाव हैं ग़ज़ल के....आपकी तो मास्टरी है लफ़्ज़ों पर.
ReplyDeleteमगर थोडा सा कहीं कहीं अटक जाती है लय...मात्राओं में ज़रा हेर फेर लाजमी है (प्लीस बुरा न मानना )
सस्नेह
अनु
अरे नहीं अनु जी ... ये बात मुझे भी पता है कि मैं बहर में नहीं लिख पाती हूँ ...
Deleteपर सीखने की कोशिश ज़ारी है ... इंशाल्लाह कभी न कभी तो कामयाबी अवश्य मिल जाएगी|
कमी की ओर इंगित करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
waaaah bhot hi umda gazal hai
ReplyDeletedhanyvaad ashok ji
Deleteखुमारी थी, नशा था, सुर्ख डोरों में
ReplyDeleteबिना मै के, नशे में खो गईं आंखें................बहुत सुन्दर।
dhanyvaad vikaas ji!
Deleteवो गईं आंखें
ReplyDeleteअड़ तो गईं आंखें
आँखों को केंद्र में रखकर आँखों से ही
बयां कर दी आपने सारी बातें
अदभुत
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
बहुत बहुत शुक्रिया ज्योति खरे जी !
Deleteबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...बहुत कुछ कह गयी ये आँखें...
ReplyDeleteशुक्रिया कैलाश जी !
Deleteबहूत ही सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद रविन्द्र जी
Delete!
Waah Waah Kya Baat Hai.
ReplyDeletethankyou so much sarik khan ji!
Deleteबहुत खूब ... आँखों का कमाल क्या कहने ... मुख़्तसर में ही कह जाती हैं तमाम बातें ...
ReplyDeleteबहुत लाजवाब ...
dhanyvaad digambar ji!
Deleteबहुत ही बेहतरीन खूबसूरत ग़ज़ल.
ReplyDeleteshukriya rajendr ji
Deleteआँखों की मार्फ़त कह दी दिल की कही सब बात .बेहतरीन रूपक आँखों का .
ReplyDeleteshukriya veerendr ji
Deletebehatreen
ReplyDeletedhnayvaad manav ji!
Deleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteधन्यवाद अंजू जी !
Deleteआँखों के बहाने जिंदगी के कई अफसाने बयां हो गये......
ReplyDeleteशुक्रिया अरुण जी!
Deleteअनु जी की बात से सहमत हूँ........शेर अच्छे हैं बहर में अटकाव सा लगा।
ReplyDeleteइमरान जी प्रयास जरी है सुधार हेतु ...धन्यवाद!
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