अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
शालिनी जी आपने मेरी पूर्व टिप्पणी को गलत साबित किया। एहसास हुआ कि छंदो में आपकी अभिव्यक्ति कृत्रिम नहीं तो सहज है। ऊपरी सवैया में प्रेयसी का शरमाना ऊपर-ऊपर से रार करना और अंदर खूश होना लाजवाब। आपके सवैया मध्ययुगिन भावों की क्षमता रखता है। यह रहा भावों का विश्लेशण पर लक्षणों के नाते भी पूर्णता सही। मत्तगयन्द सवैया 23 वर्णों का छन्द है, जिसमें सात भगण (ऽ।।) और दो गुरुओं का योग होता है। नरोत्तमदास, तुलसी, केशव, भूषण, मतिराम, घनानन्द, भारतेन्दु, हितैषी, सनेही, अनूप आदि ने इसका प्रयोग किया है और आपको इने आगे जोडा जा सकता है। भाव और लक्षणों की दृष्टि से अचुक छंद निर्मिति के लिए आपको सलाम तो करना ही पडेगा।
शालिनी बुरा लगने की बात है नहीं। 'गलत साबित किया' इसीलिए कह रहा था कि मुझे लग रहा था आप सवैयों की निर्मिति जानबूझ कर कर रही है। पर आपका ऊपरी सवैया पहले से बेहतर तो मैं गलत साबित हुआ ऐसे अर्थ था। बाकी कुछ नहीं।
शालिनी बुरा लगने की बात है नहीं। 'गलत साबित किया' इसीलिए कह रहा था कि मुझे लग रहा था आप सवैयों की निर्मिति जानबूझ कर कर रही है। पर आपका ऊपरी सवैया पहले से बेहतर तो मैं गलत साबित हुआ ऐसे अर्थ था। बाकी कुछ नहीं।
ऊपर मेरे लेखन में गलती से 'जी' रह गया नजरंदाज करें। वैसे आप बडे अधिकार के साथ मुझे विजय बुला सकती है। थोडा साहित्यिक चर्चा से टिप्पणियों में भटकाव आया है।
आदरणीया शालिनी जी सवैया विद्या पर आपकी पकड़ बहुत ही अच्छी है, आपकी लेखनी का जादू सर चढ़कर बोल रहा है, प्रस्तुति चित्र को सवैया के जरिये बहुत ही सुन्दरता से परिभाषित किया है आपने, मेरी ओर से ढेरों बधाई स्वीकारें.
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.
:)))...
ReplyDeleteसुंदर भाव!
कान्हा और उनकी गोपियाँ.. :)
~सादर!!!
धन्यवाद अनिता जी!
Deletewaaaaaaaah ati sundar
ReplyDeleteशुक्रिया अशोक जी!
Deleteशालिनी जी आपने मेरी पूर्व टिप्पणी को गलत साबित किया। एहसास हुआ कि छंदो में आपकी अभिव्यक्ति कृत्रिम नहीं तो सहज है।
ReplyDeleteऊपरी सवैया में प्रेयसी का शरमाना ऊपर-ऊपर से रार करना और अंदर खूश होना लाजवाब। आपके सवैया मध्ययुगिन भावों की क्षमता रखता है। यह रहा भावों का विश्लेशण पर लक्षणों के नाते भी पूर्णता सही।
मत्तगयन्द सवैया 23 वर्णों का छन्द है, जिसमें सात भगण (ऽ।।) और दो गुरुओं का योग होता है। नरोत्तमदास, तुलसी, केशव, भूषण, मतिराम, घनानन्द, भारतेन्दु, हितैषी, सनेही, अनूप आदि ने इसका प्रयोग किया है और आपको इने आगे जोडा जा सकता है।
भाव और लक्षणों की दृष्टि से अचुक छंद निर्मिति के लिए आपको सलाम तो करना ही पडेगा।
विजय जी ... आपको गलत साबित करना मेरा उद्देश्य नहीं था ... मैं सिर्फ अपना पक्ष स्पष्ट करना चाह रही थी .. यदि आपको बुरा लगा हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ ..
Deleteशालिनी बुरा लगने की बात है नहीं। 'गलत साबित किया' इसीलिए कह रहा था कि मुझे लग रहा था आप सवैयों की निर्मिति जानबूझ कर कर रही है। पर आपका ऊपरी सवैया पहले से बेहतर तो मैं गलत साबित हुआ ऐसे अर्थ था। बाकी कुछ नहीं।
Deleteशालिनी बुरा लगने की बात है नहीं। 'गलत साबित किया' इसीलिए कह रहा था कि मुझे लग रहा था आप सवैयों की निर्मिति जानबूझ कर कर रही है। पर आपका ऊपरी सवैया पहले से बेहतर तो मैं गलत साबित हुआ ऐसे अर्थ था। बाकी कुछ नहीं।
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद विजय ... आशा है आपकी टिप्पणियाँ आगे भी मिलती रहेंगी...
Deleteऊपर मेरे लेखन में गलती से 'जी' रह गया नजरंदाज करें। वैसे आप बडे अधिकार के साथ मुझे विजय बुला सकती है। थोडा साहित्यिक चर्चा से टिप्पणियों में भटकाव आया है।
Deleteवाह ... सूर दास जी के मधुर रस सा आनद आ गया ...
ReplyDeleteउत्तम ...
अरे दिगंबर जी ... उनके के पैरों की धूल का एक कण भी बन पायें तो जीवन सार्थक हो जाए .. बहुत बहुत धन्यवाद!
Deleteबहुत उम्दा सवैया ( मत्तगयन्द) ,आभार शालिनी जी,,,
ReplyDeleteRecent Post : अमन के लिए.
हार्दिक आभार धीरेन्द्र जी !
Deleteबहुत ही सुन्दर सार्थक रचना....
ReplyDeleteधन्यवाद राजेन्द्र जी
Deleteसुंदर प्रेममयी प्रस्तुति.
ReplyDeleteनवसंवत्सर की शुभकामनाएँ.
धन्यवाद रचना जी ... आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
Deleteओहॊऒऒऒ........मज़ा आ गया...वाह वाह ।
ReplyDeletedhanyvaad imraan ji!
Deleteआपका सदैव ही स्वागत है दिनेश!
ReplyDeleteसुन्दर छंद
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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आदरणीया शालिनी जी सवैया विद्या पर आपकी पकड़ बहुत ही अच्छी है, आपकी लेखनी का जादू सर चढ़कर बोल रहा है, प्रस्तुति चित्र को सवैया के जरिये बहुत ही सुन्दरता से परिभाषित किया है आपने, मेरी ओर से ढेरों बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार ... अरुण जी !
Deleteबहुत मनभावन प्रस्तुति...किसी और ही समय काल में पहुंचा दिया...
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश जी ...
Deleteatiuttam rachana.
ReplyDeletetb singh ji !
Deleteneek lagi atni kavita hamne ise kai baar padhi hain
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