Saturday 13 April 2013

देखि ढिठाइ ..सवैया ( मत्तगयन्द)



देखि ढिठाइ कभी उनकी, तनि लाज भरी सकुचाय खड़ी हैं|
आँचल सो मुख ढाँपि लियो, नत नैन करै शरमाय जड़ी हैं|
ऊपर-ऊपर रार करैं पर, भीतर वे हरषाय बड़ी हैं|
कान्ह लखी सखियाँ सगरी, उनपे सब नेह लुटाय पड़ी हैं|

29 comments:

  1. :)))...
    सुंदर भाव!
    कान्हा और उनकी गोपियाँ.. :)
    ~सादर!!!

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    1. धन्यवाद अनिता जी!

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    1. शुक्रिया अशोक जी!

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  3. शालिनी जी आपने मेरी पूर्व टिप्पणी को गलत साबित किया। एहसास हुआ कि छंदो में आपकी अभिव्यक्ति कृत्रिम नहीं तो सहज है।
    ऊपरी सवैया में प्रेयसी का शरमाना ऊपर-ऊपर से रार करना और अंदर खूश होना लाजवाब। आपके सवैया मध्ययुगिन भावों की क्षमता रखता है। यह रहा भावों का विश्लेशण पर लक्षणों के नाते भी पूर्णता सही।
    मत्तगयन्द सवैया 23 वर्णों का छन्द है, जिसमें सात भगण (ऽ।।) और दो गुरुओं का योग होता है। नरोत्तमदास, तुलसी, केशव, भूषण, मतिराम, घनानन्द, भारतेन्दु, हितैषी, सनेही, अनूप आदि ने इसका प्रयोग किया है और आपको इने आगे जोडा जा सकता है।
    भाव और लक्षणों की दृष्टि से अचुक छंद निर्मिति के लिए आपको सलाम तो करना ही पडेगा।

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    1. विजय जी ... आपको गलत साबित करना मेरा उद्देश्य नहीं था ... मैं सिर्फ अपना पक्ष स्पष्ट करना चाह रही थी .. यदि आपको बुरा लगा हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ ..

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    2. शालिनी बुरा लगने की बात है नहीं। 'गलत साबित किया' इसीलिए कह रहा था कि मुझे लग रहा था आप सवैयों की निर्मिति जानबूझ कर कर रही है। पर आपका ऊपरी सवैया पहले से बेहतर तो मैं गलत साबित हुआ ऐसे अर्थ था। बाकी कुछ नहीं।

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    3. शालिनी बुरा लगने की बात है नहीं। 'गलत साबित किया' इसीलिए कह रहा था कि मुझे लग रहा था आप सवैयों की निर्मिति जानबूझ कर कर रही है। पर आपका ऊपरी सवैया पहले से बेहतर तो मैं गलत साबित हुआ ऐसे अर्थ था। बाकी कुछ नहीं।

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    4. बहुत बहुत धन्यवाद विजय ... आशा है आपकी टिप्पणियाँ आगे भी मिलती रहेंगी...

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    5. ऊपर मेरे लेखन में गलती से 'जी' रह गया नजरंदाज करें। वैसे आप बडे अधिकार के साथ मुझे विजय बुला सकती है। थोडा साहित्यिक चर्चा से टिप्पणियों में भटकाव आया है।

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  4. वाह ... सूर दास जी के मधुर रस सा आनद आ गया ...
    उत्तम ...

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    1. अरे दिगंबर जी ... उनके के पैरों की धूल का एक कण भी बन पायें तो जीवन सार्थक हो जाए .. बहुत बहुत धन्यवाद!

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  5. बहुत उम्दा सवैया ( मत्तगयन्द) ,आभार शालिनी जी,,,

    Recent Post : अमन के लिए.

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    1. हार्दिक आभार धीरेन्द्र जी !

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  6. बहुत ही सुन्दर सार्थक रचना....

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    1. धन्यवाद राजेन्द्र जी

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  7. सुंदर प्रेममयी प्रस्तुति.
    नवसंवत्सर की शुभकामनाएँ.

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    1. धन्यवाद रचना जी ... आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ!

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  8. ओहॊऒऒऒ........मज़ा आ गया...वाह वाह ।

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  9. आपका सदैव ही स्वागत है दिनेश!

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  10. सुन्दर छंद

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  11. आदरणीया शालिनी जी सवैया विद्या पर आपकी पकड़ बहुत ही अच्छी है, आपकी लेखनी का जादू सर चढ़कर बोल रहा है, प्रस्तुति चित्र को सवैया के जरिये बहुत ही सुन्दरता से परिभाषित किया है आपने, मेरी ओर से ढेरों बधाई स्वीकारें.

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    1. आपका बहुत बहुत आभार ... अरुण जी !

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  12. बहुत मनभावन प्रस्तुति...किसी और ही समय काल में पहुंचा दिया...

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    1. धन्यवाद कैलाश जी ...

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  13. neek lagi atni kavita hamne ise kai baar padhi hain

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