अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.
लाजवाब पंक्तियाँ सुन्दर भाव हार्दिक बधाई आदरेया
ReplyDeletedhanyvaad arun ...
Deleteबहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST: होली की हुडदंग ( भाग -२ )
धन्यवाद धीरेन्द्र जी !
Deleteमानवीय संवेदना को व्यक्त करती कविता
ReplyDeleteसुंदर रचना
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों ख़ुशी होगी
धन्यवाद ज्योति खरे जी
Deleteबहुत ही सार्थक शब्द,बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteदिलचस्प। क्या ही खूब अशआर हैं , एक हकीकत की सी कैफियत बयां कर रहे हैं।
ReplyDeleteगहरे भाव ... सुबह की रौशनी के आगोश में बचे रहे तो सूखे ख्वाब ...
ReplyDeleteक्या बात....बहुत खुबसूरत नज़्म ।
ReplyDelete