हिय को हारे से भला, जीवन जइयो हार |
हिय के हारे न चले, जीवन का व्यापार||
जीवन का व्यापार, रात-दिन घाटा - घाटा|
जगत-सोवत तडपे, वैद्य भी जान न पाता||
हिया दिए न चैना, फिरोगे मारे-मारे|
निर्मोही को कदर नहीं, हम क्यों हिय को हारें ||
(छंद ज्ञान रखने वाले मित्रों से क्षमा चाहूंगी यदि कोई गलती रह गई हो तो कृपया माफ करें)
(छंद ज्ञान रखने वाले मित्रों से क्षमा चाहूंगी यदि कोई गलती रह गई हो तो कृपया माफ करें)
bahut hi accha
ReplyDeletethanx shrawan!
Deleteबढ़िया कुण्डलियाँ |
ReplyDeleteहारे दिल की हार से, जीवन जइयो हार | १ |
ReplyDelete२२ ११ २ २१ २, २११ ११२ २१ --- १३+ ११ मात्राए
दिल के टूटे ना चले , जीवन का व्यापार | २ |
११ १ २२ १ १२ , २११ १ २२१ ---- १३+ ११ मात्राए
जीवन का व्यापार , रात दिन चैन न आता | ३ |
२११ १ २२१ , २१ ११ २१ १ २२ ----११ + १३ मात्राए
मन रहता बेचैन , वैद्य भी जान न पाता | ४ |
११ ११२ २२१ , २१ २ २१ १ २२ ----११+ १३ मात्राए
निरमोही का मोह , फिर रहे है मारे मारे | ५ |
११२२ २ २१ , ११ १२ २ २२ २२ -- ११ + १३ मात्राए
दिल देकर पछताय , साजन से दिल जो हारे | ६ |
११ २११ ११२१ , २११ २ ११ २ २१ ---११ + १३ मात्राए
कुण्डली की १ और २ लाइन मिलकर दोहा कहलाती है,इसमें १३+ ११ मात्राए होती है.
बाकी की ३-४-५-६ लाइन मिलकर रोला कहलाती है , इसमे ११ + १३ मात्राए होती है,
दोहा और रोला (यानी की ६ लाइने मिलकर ) कुण्डली कहलाती है,
कुंडली जिस शब्द से शुरू होगी अंत भी उसी शब्द से होगा,,,,
शालिनी जी आपका प्रयास सराहनीय है , शुरू२ में जानकारी न होने के कारण सबसे ऐसी गलतियां हो जाती है,मुझसे भी हुई थी,निराश न हो,थोड़ा सा ध्यान देने की जरूरत है,थोड़े ही समय में आप बहुत अच्छा लिखने लगेगी ,,,,
धीरन्द्र जी ...मात्राओं का क्रम तो यही रखा है .... और कई बार मैंने कुंडली को इक पद के स्थान पर पुरे पदबंध से भी अंत होते देखा है ... पर आपके मार्गदर्शन के लिए बहुत आभारी हूँ ....
Deleteबहुत ही सुन्दर कुण्डलियाँ.आपको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeletethanx rajendr ji!
Deleteवाह ... बेहतरीन ... आत्म्समन ही सबकुछ है ...
ReplyDeletedhanyvaad digambar ji!
Deleteवाह शालिनी जी वाह, सर्व प्रथम आपको इस प्रयास हेतु ढेरो बधाई और शुभकामनाएं. आपने कम से कम एक कदम तो आगे बढ़ाया आपका यह प्रयास अवश्य रंग लाएगा कोशिश करते रहिये. मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteधन्यवाद अरुण जी ...
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