Friday, 4 January 2013

रिश्ते




दिल के रिश्ते 
बड़े अजीब से होते हैं 
रिश्ते दिल के 

करीब होकर भी 
कोई तो 
पास नहीं होता
तो दूर होके भी 
कुछ 
दिल से जुड़े होते हैं. 

कभी नामालूम-सी 
दीवारें खिचीं होती है
दरम्यां,
कभी दीवारों के परे भी 
रिश्ते पनप रहे होते हैं.

गलतफहमी है कि सिर्फ 
जन्म से 
वजूद में आते हैं,
खून से बावस्ता 
नहीं होते रिश्ते,
विश्वास  की 
कच्ची डोर से बंधे होते हैं. 

मज़बूत इतने कि
क़यामत भी आ जाए तो 
जुम्बिश न पड़े, 
नाज़ुक इस कदर कि 
हल्की सी ठोकर से भी 
बिखरे पड़े होते हैं.

तितलियों के परों-से 
रंगीन औ नाजुक,
सफ़ेद दामन-से पाक 
हाथ से जो छू लो तो 
पल में मैले  होते हैं .. 


अच्छा लगता है


अच्छा लगता है
जब 
अपना न होकर भी 
अपना सा लगे .....
जब कोई 
पल दो पल 
पास ठहर 
पूछ ले 
हाल-ए-दिल 
उसकी अनसुनी, अनजानी सी 
आवाज़ भी
अपनी सी लगे ......
खुशियों में शामिल रहे जो 
खिलखिलाहट की तरह 
और गम में 
जो अपना साया-सा लगे.....
न हमसफ़र, 
न हमनवां अपना,
दूर होने पर भी 
उसके 
नजदीकियों का
हौंसला - सा लगे .....
हाथ बढ़ाया तो 
थाम लेगा ज़रूर 
लड़खड़ाने से भी अपने
अब कोई  डर न लगे ...









8 comments:

  1. बहुत सुन्दर....
    दोनों ही रचनाएँ मन को छूती हुई.

    अनु

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  2. दिल के रिश्ते सही में अजीब होते है,कुछ के पास होते हुए भी हम दूर रहते है जबकि कोई दूर है फिर भी वो हमारे दिल के करीब होता है।हाले दिल की बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण।

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  3. जो दिल के करीब रहे वही अपना है। दिल के रिश्ते होते ही अजीब है,दिल को छूने वाली रचनायें।

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  4. खून से बावस्ता
    नहीं होते रिश्ते,
    विश्वास की
    कच्ची डोर से बंधे होते हैं.

    विशवास की डोर तो बड़ी पक्की होती है।

    खुशियों में शामिल रहे जो
    खिलखिलाहट की तरह
    और गम में
    जो अपना साया-सा लगे.....

    पर यहाँ खुशियों में शामिल होने और गम में तन्हां छोड़ने का ज्यादा रिवाज़ है।

    दोनों की रचनाएँ बेहद सुन्दर और दिल को छु जाने वाली हैं।

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  5. रिश्तों का ये खूबसूरत बेजोड़ तारम्य देखते ही बनता है, आनंदित करती रचना ढेरों बधाई स्वीकारें.

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  6. सही कहा.......बहुत ही अच्छी लगी पोस्ट..........कई बार अपने भी पराये से लगते हैं और पराये अपने हो जाते हैं ।

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  7. सच है रिश्ते ऐसे ही होते हैं ...
    नाज़ुक से ... नम से गुज़रती नज्में ...

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  8. दोनों ही रचनाये बेहतरीन रची है आपने शालिनी जी

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