अक्सर तुझे देख के हम, नज़रें फेर लेते हैं,
कि कहीं इन आँखों में, तू मुहब्बत न पढ़ ले .
बात करने से भी तुझसे, अक्सर कतराते हैं.
आवाज़ की लरजिश कहीं, अफ़साने न गढ़ दे .
तेवर दिखाते हैं, त्योरियां चढ़ाये रहते हैं,
हया रुखसार पे छा के, कहीं राज़ बयां न कर दे.
ज़िक्र तेरा चलते ही महफ़िल में, हम जाम उठा लेते हैं.
कि कदमों के बहकने को. नशे से परदे में पोशीदा कर दें
तन्हाई से घबरा के अक्सर, बज़्म सजा लेते हैं ,
तेरी यादें आ आकर कहीं, हमको दीवाना न कर दें .
अक्सर तुझे देख के हम, नजरे फेर लेते है,
ReplyDeleteअतिसुन्दर,आँखें तो मोहब्बत की आईना होती है।
धन्यवाद राजेन्द्र जी ...
Deleteक्या बात है ... सच कहा बात करने से ऐसे में कतराना ही अच्छा है ...
ReplyDeleteवो नज़्म याद हो आई जगजीत जी की ... बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी ...
शुक्रिया दिगंबर जी
Deleteबहुत कमाल का लिख दिया है आपने |बधाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार जय कृष्ण जी...
Deletewah kya bat hai shalini ji gahre bhavon ke sath hr sher lajbab lga
ReplyDeleteनवीन जी , बहुत बहुत शुक्रिया!
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteधन्यवाद शास्त्री जी
Deleteवाह शालिनीजी ...आपका यह अंदाज़ भी निहायत खूबसूरत लगा ....!.
ReplyDeleteआपको पसंद आया,,हमारा लिखना सफल हुआ...आभार!
Deleteबहुत खूब..........नजाकत भरी ।
ReplyDeleteधन्यवाद इमरान जी :-)
Deleteखूब...
ReplyDelete:-)
Deleteखुबसुरत फोटो और आपके लेखनी का जबाब नहीँ बहुत अच्छा
ReplyDeleteमोबाईल वर्ल्ड : Which can run mobile deviceenabling the Free Inter...: कौन सा मोबाइल उपकरण चला सकते हैँ फ्री इन्टरनेट फ्री इन्टरनेट मोबाइल से चलाने की बात करे तो सबसे पहला ...
शुक्रिया वरुण.../
Deletebahot khub
ReplyDeletebahot khub
ReplyDeleteधन्यवाद हमसफर जी!
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद प्रदीप जी!
ReplyDeleteबहुत खूब हैं अशआर पोस्ट के .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
ReplyDeletethanx dr. sahab!
DeleteWah Shalini ji kya likhahai apne......bahut hi behtreen
ReplyDeletethanku so much sanjay ji!
Deleteबहुत खूबसूरत ग़ज़ल है... शालिनी जी !
ReplyDelete~सादर!!!
thanx for ur appriciation..
Deleteवाह .बहुत ही प्रभावशाली अभिव्यक्ति. हार्दिक आभार .
ReplyDeleteखूब कही..... बेहतरीन अभिव्यक्ति .....
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