कुछ शेर
1.
सोचा था कि आज कुछ ऐसा लिखेंगे, जिसमें बसा खुशियों का साज़ हो
पर बेबस है कलम मेरी कि इसमें, बस सोज की ही स्याही भरी है .
2.
इल्जामों के पहाड़ पर हम खड़े थे शर्मसार ,
यह वो ऊंचाई यही जहाँ से , दोजख नज़र आती थी .
इक गज़ल..
गज़ल बन के जिसके लफ़्ज़ों से संवारने की हसरत की थी,
अशरार उसी शख्स के रूह को भी लहुलुहान कर गए .
इलज़ाम अगर होते तो चलो सह भी लेते हम
ज़हर लफ़्ज़ों का वो तो ,नस-नस में भर गए .
शिकायत कब हमें कि फूलों के साथ काँटे हैं
पर फूलों को उजाड़, दामन में सिर्फ काँटे भर गए .
एक समय वो था जब तुझमें खुदा दिखता था,
तेरे निशान-ए-पाँव पे भी, हम सज़दा कर गए .
सिला कब माँगा था तुझसे अपनी वफाओं का ,
बेवफाई की तोहमत पर मगर जीते-जी मर गए .
1.
सोचा था कि आज कुछ ऐसा लिखेंगे, जिसमें बसा खुशियों का साज़ हो
पर बेबस है कलम मेरी कि इसमें, बस सोज की ही स्याही भरी है .
2.
इल्जामों के पहाड़ पर हम खड़े थे शर्मसार ,
यह वो ऊंचाई यही जहाँ से , दोजख नज़र आती थी .
इक गज़ल..
गज़ल बन के जिसके लफ़्ज़ों से संवारने की हसरत की थी,
अशरार उसी शख्स के रूह को भी लहुलुहान कर गए .
इलज़ाम अगर होते तो चलो सह भी लेते हम
ज़हर लफ़्ज़ों का वो तो ,नस-नस में भर गए .
शिकायत कब हमें कि फूलों के साथ काँटे हैं
पर फूलों को उजाड़, दामन में सिर्फ काँटे भर गए .
एक समय वो था जब तुझमें खुदा दिखता था,
तेरे निशान-ए-पाँव पे भी, हम सज़दा कर गए .
सिला कब माँगा था तुझसे अपनी वफाओं का ,
बेवफाई की तोहमत पर मगर जीते-जी मर गए .
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
thanx mahendr ji !
Deleteवाह वाह,,,क्या बात है,लाजबाब शेर,,,
ReplyDeleterecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
dhanyvaad dheerendr ji!
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteतमाशा-ए-ज़िन्दगी
thanx johny!
Deleteजहर लफ्जों का वो तो नस-नस में भर गये, बहुत ही सार्थक दिल की व्यथा।
ReplyDeleteशिकायत कब हमें कि फूलों के साथ काँटे हैं
ReplyDeleteपर फूलों को उजाड़, दामन में सिर्फ काँटे भर गए .
Its amazing ,
आपकी पोस्ट ईमेल पर भी मिल जाती है। ये शेर वहीँ से कॉपी किया है।
वाह शालिनी जी आपने तो दर्द को मानों उड़ेल दिया है, हार्दिक बधाई लाजवाब शे'र शानदार ग़ज़ल. सादर
ReplyDeleteख़ूबसूरत!
ReplyDeleteढ़
--
थर्टीन रेज़ोल्युशंस!!!
where is my comment?
ReplyDeleteइमरान जी..हम तो इन्तेज़ार करते हैं आपके कमेन्ट का...पर आया ही नाही तो पुब्लिश कहाँ से करें ..... :-(
Deleteखूबसूरत भाव !
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