जिस तरफ देखूं बस तेरी ही , सूरत नज़र आती है ,
या खुदा! क्या आँखें मेरी, तेरा आइना हो गईं ?
इतना तो इख्तेयार किसी का, किसी पर नहीं देखा,
कि अब मेरी सोच भी, तेरी गुलाम हो गई ?
अंदाज़ा हर कोई लगा लेता है, अपनी दास्ताँ का,
क्या शक्ल मेरी अब, खुली किताब हो गई?
जो भी मिलाता है मुझसे पेशतर, तेरा हाल पूछे है ,
क्या मेरी शख्सियत तेरी पहचान हो गई ?
जिसे देखो वो मेरे हालात पे हँस देता है ,
चर्चा-ए-दीवानगी मेरी , सरे आम हो गई.
जिस तरफ देखूं बस तेरी ही , सूरत नज़र आती है ,
ReplyDeleteया खुदा! क्या आँखें मेरी, तेरा आइना हो गईं ? वाह उम्दा आगाज
इतना तो इख्तेयार किसी का, किसी पर नहीं देखा,
कि अब मेरी सोच भी, तेरी गुलाम हो गई ? हाय हाय
अंदाज़ा हर कोई लगा लेता है, अपनी दास्ताँ का,
क्या शक्ल मेरी अब, खुली किताब हो गई? वाह मस्त मदमस्त
जो भी मिलाता है मुझसे पेशतर, तेरा हाल पूछे है ,
क्या मेरी शख्सियत तेरी पहचान हो गई ? लाजवाब
जिसे देखो वो मेरे हालात पे हँस देता है ,
चर्चा-ए-दीवानगी मेरी , सरे आम हो गई. कमाल धमाल बेमिसाल
शालिनी जी सभी के सभी अशआर माशाल्लाह कमाल के हैं, पढ़कर सारे दिन की थकान दूर हो गई, शाम तरोताजा हो गई मेरी ओर से ढेरों दिली दाद व बधाई स्वीकारें.
धन्यवाद अरुण जी...आपकी प्रशंसा बहुत महत्त्वपूर्ण है हमारे लिए!
Deleteदीवानगी का ये आलम भी अजीब है.... ::)
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ग़ज़ल...!
~सादर!!!
धन्यवाद अनिता जी .... आपको पसंद आई हमारा नसीब है |
Deletebehtareen...:)
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deletebahut umda
ReplyDeleteनीलिमा जी, बहुत बहुत शुक्रिया!
Deleteबहुत ही खूबसूरत अंदाज़ शालिनीजी
ReplyDeleteशुक्रिया सरस जी !
Deleteवाह वाह कमाल की प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
धीरेन्द्र जी..हार्दिक आभार!
Deleteशीशा ए दिल में छिपी तस्वीरे यार जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली .यह तो इससे भी आगे की स्थिति है -तू ही तू बस तू ही तू ....लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल ....जादू वाही है जो सर चढ़के बोले
ReplyDeleteभी बोलता दिखे भी .बढिया संवाद संवाद आशिक का माशूक के साथ .
क्या बात है वीरेंद्र जी, आपकी तो टिप्पणियाँ भी बहुत निराली होती हैं... बहुत खूब!
Deleteनज्म तो बड़ी सुन्दर है ,लेकिन पोस्ट की हैडिंग नज़र नही आई। इसलिए अपडेट्स में भी पता नही चला, की नयी पोस्ट है।
ReplyDeleteआमिर भाई..जल्दबाजी में भूल गई लिखना ...आज लिख दिया ... ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया!
Deleteबहुत ही बेहतरीन दीवानगी भरा ग़ज़ल,अति सुंदर।इसी बात पर .....
ReplyDeleteजो की हो तुझसे सवा उसे हसरत से न देख,
और जो तुझसे हो कम उसे हिकारत से न देख।
देख आईना सिर्फ साथ सफाई के हमे,
जिन्दगी के हर पन्ने बिन रुसवाई के देख।
शेर अलग अलग अच्छे हैं पर माफ़ कीजिये शालिनी जी ग़ज़ल की रवानगी नहीं बन पाई ।
ReplyDeleteबहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई
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