कम से कम
इस साल तो
कुछ ऐसा नहीं होगा
कुछ दरिंदे करेंगे
इंसानियत का मुँह काला
हैवानियत के अट्टहास पे
नहीं सिसकेगी
मानवता
कम से कम
शायद
इस बार तो ऐसा नहीं होगा
सियासत फिर अपनी
बेशर्मी का लबादा ओड़
नहीं छिपती फिरेगी
नपुंसक से बहानों के पीछे
खोखले वादों के पीछे
झूठे आँसुओं और संवेदनाओं के पीछे
कम से कम
शायद
इस बार तो ऐसा नहीं होगा
अपने ही देश में
न्याय की गुहार लगाने पर
नहीं खानी पड़ेंगी लाठियाँ
अपने ही रक्षकों के हाथों
नहीं अब घसीटा जायेगा
लड़कियों को सड़कों पर
बेगैरती कुछ तो
गैरत में डूब जाएगी
शायद इस बार
शायद
इस साल
बेखौफ़ होगी जिंदगी
गुलज़ार होगा जीवन
सम्मानित मातृशक्ति
पायेगी निज गौरव
डरेगा न मन
बेटियों के बाहर जाने पर
कुछ आश्वासन दे
ए नव वर्ष
कि उल्लसित हो करें
हम भी तेरा स्वागत
बेहद भावपूर्ण रचना..
ReplyDeleteयह वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो..
आपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...
:-)
With prayers to God
ReplyDeleteto made HER family
able to bear the great pain
with hope for the country
to see the real change
i wish everyone a very Happy New Year 2013.
सुना था इक्कीस दिसम्बर को धरती होगी खत्म
ReplyDeleteपर पाँच दिन पहले ही दिखाया दरिंदों ने रूप क्रूरतम
छलक गई आँखें, लगा इंतेहा है ये सितम
फिर सोचा, चलो आया नया साल
जो बिता, भूलो, रहें खुशहाल
पर आ रही थी, अंतरात्मा की आवाज
उस ज़िंदादिल युवती की कसम
उसके दर्द और आहों की कसम
हर ऐसे जिल्लत से गुजरने वाली
नारी के आबरू की कसम
जीवांदायिनी माँ की कसम, बहन की कसम
दिल मे बसने वाली प्रेयसी की कसम
उसे रखना तब तक याद
जब तक उसके आँसू का मिले न हिसाब
जब तक हर नारी न हो जाए सक्षम
जब तक की हम स्त्री-पुरुष मे कोई न हो कम
हम में न रहे अहम,
मिल कर ऐसी सुंदर बगिया बनाएँगे हम !!!!
नए वर्ष मे नए सोच के साथ शुभकामनायें.....
http://jindagikeerahen.blogspot.in/2012/12/blog-post_31.html#.UOJl_-RJOT8
काश की नए साल में आपने जो दर्द बयाँ किया और जो तमन्नाएँ कीं , ऐसा ही हो। आमीन।
ReplyDeleteबैगेरती कुछ तो डूब कर मर जाएगी।
उम्मीद है की बदलाव होगा .........आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteआज की समस्या की बहुत ही सुंदर,भावपूर्ण प्रस्तुति। संघर्ष करना हमारा कर्तब्य है।
ReplyDeleteनया साल शुभ हो।
भावपूर्ण ...
ReplyDeleteummeed pr duniya kayam hai pr hame bhi kayam rahana hoga ....rachana bahut sundar hai ....apke in gahare bhavon men mai to doob hi gya ....abhar.
ReplyDeleteआशा की एक किरण जगी तो हैं
ReplyDeleteसमाज अब थोडा सम्भला तो है।
अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकार करें. :)
ReplyDeleteअपनी बे -शर्मी का लबादा ओढ़ (कृपया ओढ़ कर लें ,शुक्रिया ),
जिस विष बीज का अंकुरण बरसों में हुआ है उस खेत की तो अब मिट्टी ही बदलनी पड़ेगी .सफाई घर से शुरू हो वहां भी मानसिक संदूषण पसरा है .
ReplyDeleteअपनी बे -शर्मी का लबादा ओढ़ (कृपया ओढ़ कर लें ,शुक्रिया ),
जिस विष बीज का अंकुरण बरसों में हुआ है उस खेत की तो अब मिट्टी ही बदलनी पड़ेगी .सफाई घर से शुरू हो वहां भी मानसिक संदूषण पसरा है .