Friday, 25 September 2020

कैंसर से जंग : विश्व गुलाब दिवस

 ताकि

ज़िन्दगी हार न जाए ...
बहुत कठिन है डगर
बहुत कष्टकर है ज़िन्दगी ..
हर रोज़ लड़ते हैं वे दर्द से
हर रोज़ गुज़रते निराशा के पथ से ..
आओं उनकी लडाई को कुछ आसान बनाएँ..
एक गुलाब देकर उन्हें ..
कुछ आशा- विश्वास दिलाएँ ...
निराशा में डूबे हृदय में
थोडा-सा उल्लास जगाएँ....
हाँ, जंग में नहीं हैं वे अकेले
कहकर उनकी ताकत बढ़ाएं ...
ताकि कैंसर से अपनी जंग वे
बिना लड़े ही हार न जाएँ ..

विश्व गुलाब दिवस

नाम सुनकर भ्रमित मत हो जाइये| यह गुलाब दिवस

अवश्य है परंतु इसका वैलेंटाइन डे से कोई सम्बन्ध नहीं है| आज 22 सितम्बर को विश्व गुलाब दिवस के रूप में मनाया जाता है| आज का यह दिन समर्पित है कैंसर की भयानक बीमारी से ग्रसित, ज़िन्दगी और मौत के बीच झूल रहे लोगों का हौंसला बढ़ने के लिए| 

विश्व गुलाब दिवस मनाया जाता है कनाडा की मात्र 12 वर्षीय मेलिंडा रोज की याद में| मेलिंडा जो अस्किन ट्यूमर नामक एक बहुत ही दुर्लभ रक्त कैंसर ग्रसित थीं और जिसको डॉक्टरों ने भी कह दिया था कि वह २ सप्ताह से अधिक नहीं जी पाएगी| परन्तु 12 साल की इस साहसी लड़की ने अपनी जिजीविषा से न केवल डॉक्टर्स की भविष्यवाणी को झूठा साबित कर दिया और करीब 6 माह तक जीबित रही बल्कि वह अपनी हिम्मत से अन्य कैंसर पीड़ितों के मन में आशा व उत्साह का संचार करती रही| वह छोटी-छोटी कविताओ, टिप्पणियों, ई-मेल द्वारा कैंसर रोगियों को जीने की आशा देती थी| कैंसर रोगियों में खुशियों व आशा का संचार करना उसने अपने जीवन का मिशन बना लिया था|  सिंतबर के महीने में इस बच्ची ने सबका साथ छोड़ दिया और इस दुनिया को अलविदा कह दिया। यह बच्ची जिस तरह से 6 महीने तक अपनी बीमारी से लड़ती रहती। यह बात सभी कैंसर से पीड़ित लोगों के एक मिसाल बन गई। इसलिए इस दिन कैंसर से पीड़ित लोगों को गुलाब दिया जाता है और उन्हें जिंदगी से लड़ने की हिम्मत रखने का हौसला देने की कोशिश की जाती है। 

वास्तव में कैंसर जैसी भयंकर बीमारी न केवल शरीर के हौंसले पस्त कर देती है बल्कि दिलो-दिमाग पर भी अपने भय की ऐसी छाप छोड़ देती है की इस बीमारी से पीड़ित रोगी के मन से उत्साह-उमंग और जीने का चाव समाप्त हो जाता है| यह एक ऐसा दिन है जो कैंसर से लड़ रहे लोगों में आशा और प्रसन्नता फैलाने के लिए समर्पित है। जैसा कि अधिकांश कैंसर उपचार शरीर के लिए अत्यंत कष्टकर होते हैं, और साथ ही रोगी पर  गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं, इसलिए मरीजों को खुश रखना बहुत जरूरी है, विशेषज्ञों का कहना है और इसलिए हर दिन उनके लिए एक 'रोज डे' होना चाहिए। 22 सितंबर को विश्व रोज़ डे के रूप में मनाया जाता है, कैंसर रोगियों के जीवन में खुशी लाने के लिए। यह लोगों में कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने का भी दिन है क्योंकि प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का पता लगाने से अनेक प्रकार के कैंसरों का इलाज भी संभव है|

नैराश्य के अन्धकार में डूबे लोगों को गुलाब देकर यह अहसास करवाया जाता है कि जीवन अभी समाप्त नहीं हुआ है| जब तक साँसें चल रही हैं , प्रत्येक साँस को पूरे उत्साह व उमंग से जीना है| कैंसर जिंदगी का अंत नहीं है। कैंसर से लड़ा जा सकता है और लड़कर जीत हासिल भी की जा सकती है। अक्सर लोग कैंसर का नाम सुनते ही हिम्मत खो बैठते हैं। उन्हें लगता है कि अब वह ज्यादा दिनों तक नहीं जी पाएंगे। गुलाब देकर उन्हें यह महसूस कराने की कोशिश की जाती है कि उनकी जिंदगी भी फिर से गुलाब जैसी ही महक और खिल सकती है। 

विश्व रोज़ दिवस पर, यह महत्वपूर्ण है कि हम समय निकालकर कैंसर रोगियों के साथ वक्त बिताएँ। एक गुलाब कोमलता, प्रेम और देखभाल का प्रतीक है। विश्व रोज़ डे पर कैंसर के रोगियों को यह फूल देकर उन्हें यह अहसास करवाएँ कि हम उनकी कितनी देखभाल करते हैं।

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