रक्तदान पर दोहे
1.
रग- रग में खौले नहीं, पथ पर बहे न व्यर्थ|
रक्षा प्राणों की करे, तभी रक्त का अर्थ ||
2.
सडकों पर न व्यर्थ बहे, धर्म-जात के नाम|
मनुज रक्त आए सदा, मानवता के काम ||
3
भाई-चारा विश्व में, बढ़े प्रेम सद्भाव|
रक्तदान बंधुत्व का, मन में भर दे भाव||
4.
अन्न. वस्त्र, धरा औ धन, देत होय सम्मान |
पर सब दानों से बढ़ा, जग में शोणित दान||
5.
दान करे से घटे नहीं, होय न कछु नुकसान|
मिले समय पर रक्त जो, बचें मनुज के प्राण||
6.
अस्पताल में रक्त की , कमी न लीले प्राण|
रक्त-दान संकल्प लें, करें महा कल्याण||
7.
तीन माह में दान कर, रक्त मनुज इक बार|
जीवन तीन बचाय के, कर सब पर उपकार||
8.
सीमा पर ग़र खूँ बहा, कर न सको बलिदान|
रक्त देय जीवन बचा, ये भी काज महान||
9.
बच जाते जीवन कई, मिल जाता जो रक्त|
दाता है जो रक्त का, सच्चा ईश्वर भक्त||
10.
हृदय- रोग का डर घटे, होय आत्म संतोष|
नया रक्त निर्माण हो, कभी न कम यह कोष||
शालिनी रस्तौगी
गुरुग्राम
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