Monday, 2 June 2014

क्षणिकाएं ....

शून्य (क्षणिका)
~~~~
प्रतीक्षविहीन पल
न मन में आस, न विश्वास.
न अब कोई आहट
न मन के द्वार खटखटाहट 
हर तरफ बस एक शून्य 
निशब्द सी कुछ घड़ियाँ 
बस चलते चले जा रहे हैं 
सदियों से लम्बे 
ये प्रतीक्षविहीन पल

~~~~~~~~~~~

अदृश्य दीवारें 
~~~~~~~
अदृश्य दीवारें 
कुछ अदृश्य बाँध 
रोकते हैं मार्ग 
विचारों के प्रवाह का 
मन के उत्साह का 
खुशियों की गति को 
करके अवरुद्ध
मार्ग में आ अड़ती हैं
कुछ अदृश्य दीवारें .....

3 comments:

  1. प्रभावपूर्ण क्षणिकाएँ
    बहुत सुन्दर
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई------

    आग्रह है---- जेठ मास में--------

    ReplyDelete
  2. इन दीवारों को पार करना ही जीवन है ....
    भावपूर्ण क्षणिकाएं ...

    ReplyDelete
  3. गहरे भावों को अभिव्यक्ति करती सुंदर क्षणिकाएं।।।

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks