शून्य (क्षणिका)
~~~~
प्रतीक्षविहीन पल
न मन में आस, न विश्वास.
न अब कोई आहट
न मन के द्वार खटखटाहट
हर तरफ बस एक शून्य
निशब्द सी कुछ घड़ियाँ
बस चलते चले जा रहे हैं
सदियों से लम्बे
ये प्रतीक्षविहीन पल
~~~~~~~~~~~
अदृश्य दीवारें
~~~~~~~
अदृश्य दीवारें
कुछ अदृश्य बाँध
रोकते हैं मार्ग
विचारों के प्रवाह का
मन के उत्साह का
खुशियों की गति को
करके अवरुद्ध
मार्ग में आ अड़ती हैं
कुछ अदृश्य दीवारें .....
~~~~
प्रतीक्षविहीन पल
न मन में आस, न विश्वास.
न अब कोई आहट
न मन के द्वार खटखटाहट
हर तरफ बस एक शून्य
निशब्द सी कुछ घड़ियाँ
बस चलते चले जा रहे हैं
सदियों से लम्बे
ये प्रतीक्षविहीन पल
~~~~~~~~~~~
अदृश्य दीवारें
~~~~~~~
अदृश्य दीवारें
कुछ अदृश्य बाँध
रोकते हैं मार्ग
विचारों के प्रवाह का
मन के उत्साह का
खुशियों की गति को
करके अवरुद्ध
मार्ग में आ अड़ती हैं
कुछ अदृश्य दीवारें .....
प्रभावपूर्ण क्षणिकाएँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई------
आग्रह है---- जेठ मास में--------
इन दीवारों को पार करना ही जीवन है ....
ReplyDeleteभावपूर्ण क्षणिकाएं ...
गहरे भावों को अभिव्यक्ति करती सुंदर क्षणिकाएं।।।
ReplyDelete