Monday, 30 June 2014

चिंतन


चिंतन की मथनी करे, मन का मंथन नित्य |
सार-सार तरै ऊपर , छूटे निकृष्ट कृत्य ||
छूटे निकृष्ट कृत्य , विचार में शुद्धि आए |
उज्ज्वल होय चरित्र, उत्तम व्यवहार बनाए||
मिले सटीक उपाय, समस्या  का हो भंजन |
चिंता भी हो  दूर , करें जब मन में चितन ||

6 comments:

  1. आप की ये खूबसूरत रचना...
    दिनांक 03/07/2014 की नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है...
    आप भी इस हलचल में अवश्य आना...
    सादर...
    कुलदीप ठाकुर...

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  2. दोहे अच्छे बन पड़े हैं |

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  3. बहुत सार्थक प्रस्तुति...

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  4. सुन्दर और सार्थक दोहे
    http://kaynatanusha.blogspot.in/

    ReplyDelete

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