अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
चिंतन की मथनी करे, मन का मंथन नित्य |
सार-सार तरै ऊपर , छूटे निकृष्ट कृत्य ||
छूटे निकृष्ट कृत्य , विचार में शुद्धि आए |
उज्ज्वल होय चरित्र, उत्तम व्यवहार बनाए||
मिले सटीक उपाय, समस्या का हो भंजन |
चिंता भी हो दूर , करें जब मन में चितन ||
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.
आप की ये खूबसूरत रचना...
ReplyDeleteदिनांक 03/07/2014 की नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है...
आप भी इस हलचल में अवश्य आना...
सादर...
कुलदीप ठाकुर...
दोहे अच्छे बन पड़े हैं |
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeletebadhiya!
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक दोहे
ReplyDeletehttp://kaynatanusha.blogspot.in/