दास्ताँ गम की ज़माने को सुनाई ना गई
सरेआम तेरी रुसवाई ज़माने में कराई न गई
ज़ख्म कुछ गहरे थे इतने कि न भर पाए कभी
पीर कुछ ऐसी थी कि दुनिया से छिपाई न गई
थे खरीदार कहाँ कम इस दुनिया में वफ़ा के
बारहां हमसे नुमाइश अपनी लगाई न गई
मसलेहत क्या थी महफ़िल में बुलाने की हमें
पीठ पीछे क्या हँसी मेरी तुमसे उड़ाई न गई
एक इशारे पे तेरे फ़ना हो जाते हम पल में
किश्त दर किश्त मौत हमसे बुलाई न गई
फैसले अपने हैं और फितरत अपनी -अपनी
हमसे जफ़ा और तुमसे वफ़ा निभाई न गई
अश्क मोती थे हमारे न कि खारा पानी
जागीर ये ज़माने पे सरे आम लुटाई न गई
दिल को छूती बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश जी ...
Deleteवाह वाह वाह धमाकेदार प्रस्तुति शानदार धारदार जोरदार जबरदस्त इस शानदार रचना पर बधाई स्वीकारें.
ReplyDeletedhanyvaad arun ...
Deletewaaaaaaaaaaah
ReplyDeletebhot khub
धन्यवाद अशोक जी!
Deleteबहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति,आपका आभार शालिनी जी.
ReplyDeleteशुक्रिया राजेन्द्र जी!
Deleteअच्छी रचना बहुत सुंदर..
ReplyDeleteहैप्पी मदर्स डे
ए अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
समय मिले तो एक नजर इस लेख पर भी डालिए.
बस ! अब बक-बक ना कर मां...
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/05/blog-post.html?showComment=1368350589129
धन्यवाद महेंद्र जी.....
Deleteबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल! दिल को छू गयी....
ReplyDelete~सादर!!!
शुक्रिया अनिता जी ...
DeleteKya baat hai.kamal ka likha hai.
ReplyDeleteshukriya aamir ...
Deleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeletethenx sada ji
Deleteशालिनी जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति .... सादर बधाई ....
ReplyDeleteधन्यवाद प्रवीण जी!
Deleteaapki gajlen behtareen hoti hain..
ReplyDeleteहौंसला अफजाई के लिए शुक्रिया मुकेश जी ...
Deleteबहुत खूब ... दर्द हो तो बाहर आ ही जाता है ...
ReplyDeleteछिपाना आसां नही होता ... दिल को छूते शेर ...
शुक्रिया दिगंबर जी ...
Deleteवाह बहुत ही खुबसूरत.......तीसरा शेर सबसे अच्छा लगा ।
ReplyDeleteशुक्रिया इमरान जी ..
Deleteखूबसूरत अश’आर
ReplyDeletedhanyvaad sushila ji
Deleteexcilent
ReplyDeletethanx priya ji!
Deleteअरे ! वाह ! आप तो बहुत अच्छा लिखती हैं ।
ReplyDeleteशानदार लेखन ।
मन को स्पर्श करती भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बधाई
आग्रह है पढ़ें "बूंद-"
http://jyoti-khare.blogspot.in
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल . आपके इस पोस्ट का प्रसारण ब्लॉग प्रसारण www.blogprasaran.blogspot.in के आज 20.05.2013 के अंक में किया गया है. आपके सूचनार्थ.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल.
ReplyDeleteबहुत सुंदर , ह्रदयस्पर्शी , शुभकामनाये
ReplyDeletebahot khub
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