Sunday, 12 May 2013

दास्ताँ गम की


दास्ताँ  गम की ज़माने को सुनाई  ना गई
सरेआम तेरी रुसवाई ज़माने में कराई न गई 

ज़ख्म कुछ गहरे थे इतने कि न भर पाए कभी 
पीर कुछ ऐसी थी कि दुनिया से छिपाई न गई 

थे खरीदार कहाँ कम इस दुनिया में वफ़ा के 
बारहां हमसे नुमाइश अपनी लगाई न गई 

मसलेहत क्या थी महफ़िल में बुलाने की हमें 
पीठ पीछे क्या हँसी मेरी तुमसे उड़ाई न गई 

एक इशारे पे तेरे फ़ना हो जाते हम पल में 
किश्त दर किश्त मौत हमसे बुलाई न गई 

फैसले अपने हैं और फितरत अपनी -अपनी 
हमसे जफ़ा और तुमसे वफ़ा निभाई न गई 

अश्क मोती थे हमारे न  कि  खारा पानी 
जागीर ये ज़माने पे सरे आम लुटाई न गई 

34 comments:

  1. दिल को छूती बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...

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    1. धन्यवाद कैलाश जी ...

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  2. वाह वाह वाह धमाकेदार प्रस्तुति शानदार धारदार जोरदार जबरदस्त इस शानदार रचना पर बधाई स्वीकारें.

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  3. बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति,आपका आभार शालिनी जी.

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    1. शुक्रिया राजेन्द्र जी!

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  4. अच्छी रचना बहुत सुंदर..

    हैप्पी मदर्स डे
    ए अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
    मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।


    समय मिले तो एक नजर इस लेख पर भी डालिए.

    बस ! अब बक-बक ना कर मां...

    http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/05/blog-post.html?showComment=1368350589129

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    1. धन्यवाद महेंद्र जी.....

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  5. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल! दिल को छू गयी....
    ~सादर!!!

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    1. शुक्रिया अनिता जी ...

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  6. वाह ... बेहतरीन

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  7. शालिनी जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति .... सादर बधाई ....

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    1. धन्यवाद प्रवीण जी!

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  8. Replies
    1. हौंसला अफजाई के लिए शुक्रिया मुकेश जी ...

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  9. बहुत खूब ... दर्द हो तो बाहर आ ही जाता है ...
    छिपाना आसां नही होता ... दिल को छूते शेर ...

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    1. शुक्रिया दिगंबर जी ...

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  10. वाह बहुत ही खुबसूरत.......तीसरा शेर सबसे अच्छा लगा ।

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    1. शुक्रिया इमरान जी ..

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  11. खूबसूरत अश’आर

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  12. priya rastogi , Aurangabad18 May 2013 at 23:00

    excilent

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  13. अरे ! वाह ! आप तो बहुत अच्छा लिखती हैं ।
    शानदार लेखन ।

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  14. मन को स्पर्श करती भावपूर्ण रचना
    बहुत सुंदर
    बधाई


    आग्रह है पढ़ें "बूंद-"
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  15. बहुत ही उम्दा ग़ज़ल . आपके इस पोस्ट का प्रसारण ब्लॉग प्रसारण www.blogprasaran.blogspot.in के आज 20.05.2013 के अंक में किया गया है. आपके सूचनार्थ.

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  16. बहुत बढ़िया ग़ज़ल.

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  17. बहुत सुंदर , ह्रदयस्पर्शी , शुभकामनाये

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

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