1.
मुख़्तसर सी मुलाकात थी
अजीब सा ही था बहाना
पहली दफ़ा मिल के वो बोले
बस यहीं खत्म फ़साना .............
2.
कुछ बेजां सी ख्वाहिशें
कुछ गुस्ताख से अंदाज़
हक़- ए- इंकार से हमारे
क्यूं कर उन्हें एतराज़
3.
दो घड़ी पास बैठ ज़रा
कुछ दिल की कहते -सुनते
रूहों के रिश्तों को न यूँ
जिस्म की दीवारों में चुनते
4.
इश्क में खुद को मिटाने का फन आ न सका ,
जान दे के उसे मनाने का फन आ न सका,
घर की दहलीज के उस तरफ थी दुनिया उसकी,
मौज-ए-दुनिया से टकराने का फन आ न सका.
उल्फत की नई मंजिलें पुकारती थीं उसे
ज़ख्म दिल के दिखलाने का फन आ न सका..
बेहतरीन.....
ReplyDeleteआपकी उर्दू पर बहुत अच्छी पकड़ है..
अनु
धन्यवाद अनु.... बस उर्दू की थोड़ी बहुत ही जानकारी है , उसी का इस्तेमाल कर लेते हैं!
Deleteमाशाल्लाह सुभानाल्लाह खुशामदीद दिलकश अल्फाज़ और आशार | उम्दा बहुत ही उम्दा | मुबारकबाद
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
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शुक्रिया तुषार!
Deleteलाजवाब !
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद यशवंत जी!
Deletedusre no. ka sher bha gaya...
ReplyDeletesahi kaha anulata jee ne.. aapki urdu pe behtareen pakad hai..:)
धन्यवाद मुकेश जी!
Deleteवैरी नाईस , सच में उर्दू में अच्छी पकड़ है। मैंने तो ऐसे ही इतने साल उर्दू यूनिवर्सिटी में सर्फ किये।
ReplyDeleteये पोस्ट ईमेल में मिल चुकी है।
शुक्रिया आमिर भाई!
Deletesimply superb shalini ji.
ReplyDeleteधन्यवाद मदन जी!
Deleteक्या बात है शालिनी जी मज़ा आ गया शानदार शे'र. इस प्रस्तुति पर ढेरों बधाई स्वीकारें. एक सलाह है अगर आप उर्दू के शब्दों का अर्थ भी लिख दिया करें तो इसी बहाने हम जानकारी हो जायेगी और समझने में आसानी भी रहेगी. कृपया अन्यथा मत लीजियेगा.
ReplyDeleteअरे अरुण जी...ऐसा कों स शब्द लिख दिया .... मुझे तो खुद ही बहुत बेसिक सा ज्ञान है उर्दू का .... हौंसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया!
Deleteबहुत ही उम्दा प्रस्तुतिकरण,आभार.
ReplyDeleteधन्यवाद राजेन्द्र जी!
Deleteतमाम अशआर बला की खूब सूरती मुख्तलिफ अंदाज़ लिए हैं .खूबसूरत हैं अंदाज़ आपके .अंदाज़े बयाँ आपका .हर शैर एक अलग रवानी लिए हुए है .
ReplyDeleteveerendr ji ...aapka tahe dil se shukriya!
Deleteसुन्दर शालिनीजी ....
ReplyDeletedhanyvaad saras ji
Deletekam shabdon me badi baten kah di shalini jee....
ReplyDeletedhanyvaad nidhi ji
Deleteशुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी के लिए इस बेहतरीन रचना के लिए .
ReplyDeleteमुख्तलिफ अंदाज लिए खूबशूरत प्रस्तुति,,,,,,
ReplyDeleteRecent Post: कुछ तरस खाइये
bahut khoobsurat ashaar...
ReplyDeleteबस यहीं ख़तम फ़साना :-(( ......बहुत खूब।
ReplyDeleteबस यहीं ख़तम फ़साना ........:-(......बहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत खूब ... सभी शेर खास ... लाजवाब ... घर की दहलीज के उस तरफ ... ये शेर तो बहुत ही खास लगा ...
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