Sunday, 24 February 2013

नाराज़गी........कुछ इस तरह




1.
मुख़्तसर सी मुलाकात थी
अजीब सा ही था बहाना
पहली दफ़ा मिल के वो बोले 
बस यहीं खत्म फ़साना .............

2.
कुछ बेजां सी ख्वाहिशें 
कुछ गुस्ताख से अंदाज़ 
हक़- ए- इंकार से हमारे  
क्यूं कर उन्हें एतराज़ 

3.
दो घड़ी पास बैठ ज़रा 
कुछ दिल की कहते -सुनते 
रूहों के रिश्तों को न यूँ 
जिस्म की दीवारों में चुनते

4.
इश्क में खुद को मिटाने का फन आ न सका ,
जान दे के उसे मनाने का फन आ न सका

घर की दहलीज के उस तरफ थी दुनिया उसकी,
मौज-ए-दुनिया से टकराने का फन आ न सका.

उल्फत की नई मंजिलें पुकारती थीं उसे 
ज़ख्म दिल के दिखलाने का फन आ न सका..

28 comments:

  1. बेहतरीन.....
    आपकी उर्दू पर बहुत अच्छी पकड़ है..

    अनु

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद अनु.... बस उर्दू की थोड़ी बहुत ही जानकारी है , उसी का इस्तेमाल कर लेते हैं!

      Delete
  2. माशाल्लाह सुभानाल्लाह खुशामदीद दिलकश अल्फाज़ और आशार | उम्दा बहुत ही उम्दा | मुबारकबाद

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete
  3. dusre no. ka sher bha gaya...
    sahi kaha anulata jee ne.. aapki urdu pe behtareen pakad hai..:)

    ReplyDelete
  4. वैरी नाईस , सच में उर्दू में अच्छी पकड़ है। मैंने तो ऐसे ही इतने साल उर्दू यूनिवर्सिटी में सर्फ किये।
    ये पोस्ट ईमेल में मिल चुकी है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया आमिर भाई!

      Delete
  5. क्या बात है शालिनी जी मज़ा आ गया शानदार शे'र. इस प्रस्तुति पर ढेरों बधाई स्वीकारें. एक सलाह है अगर आप उर्दू के शब्दों का अर्थ भी लिख दिया करें तो इसी बहाने हम जानकारी हो जायेगी और समझने में आसानी भी रहेगी. कृपया अन्यथा मत लीजियेगा.

    ReplyDelete
    Replies
    1. अरे अरुण जी...ऐसा कों स शब्द लिख दिया .... मुझे तो खुद ही बहुत बेसिक सा ज्ञान है उर्दू का .... हौंसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया!

      Delete
  6. बहुत ही उम्दा प्रस्तुतिकरण,आभार.

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद राजेन्द्र जी!

      Delete
  7. तमाम अशआर बला की खूब सूरती मुख्तलिफ अंदाज़ लिए हैं .खूबसूरत हैं अंदाज़ आपके .अंदाज़े बयाँ आपका .हर शैर एक अलग रवानी लिए हुए है .

    ReplyDelete
  8. सुन्दर शालिनीजी ....

    ReplyDelete
  9. kam shabdon me badi baten kah di shalini jee....

    ReplyDelete
  10. शुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी के लिए इस बेहतरीन रचना के लिए .

    ReplyDelete
  11. मुख्तलिफ अंदाज लिए खूबशूरत प्रस्तुति,,,,,,

    Recent Post: कुछ तरस खाइये

    ReplyDelete
  12. बस यहीं ख़तम फ़साना :-(( ......बहुत खूब।

    ReplyDelete
  13. बस यहीं ख़तम फ़साना ........:-(......बहुत खूब।

    ReplyDelete
  14. बहुत खूब ... सभी शेर खास ... लाजवाब ... घर की दहलीज के उस तरफ ... ये शेर तो बहुत ही खास लगा ...

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks