1.
हरेक बार वो, हरेक बात पे खफा होके ,
तीर से तंज का तोहफा हमें देता है
नादानी की उसकी ज़रा हद तो देखो
जिस दिल में बसे, उसे ही तोड़ देता है
2.
कितनी बेमुरव्वती से ताकीद की थी उसने
जाना है तो जाओ फिर लौट के मत आना
उसके जाते हुए क़दमों के निशां देखते हम खड़े थे
कूचा-ए-यार के सिवा कहाँ अपना कोई ठिकाना
बेसाख्ता ही निकल गया उसका नाम लबों से
हमने तो परस्तिश में खुदा की हाथ अपने उठाए थे ,
काफिर बना गया फिर तसब्बुर उस बुत का,
आँखे बंद कर जब, सजदे में सर अपना झुकाए थे
4.
महफिल-ए-शमा की रौनक थी शबाब पे,
इक जूनून-सा था परवानों की जमात में,
कौन उस बेदर्द हुस्न के हुज़ूर में जाँ देकर
नाम दाखिल करवाता दीवानों के दीवान में .
5.
इन्तेज़ार का दिन ढलने चला था ,
उम्मीद की शम्मा को जलाया हमने
कतरा-कतरा मोम बनके पिघलती रहीं हसरतें दिल में
आखिरी साँस इधर शमा ने ली, उधर दिन निकल आया .
सजन हमसे मिले भी,लेकिन ऐसे मिले की हाय
ReplyDeleteजैसे सूखे खेत से बादल बिन बरसे उड़ जाय,,,,
Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
हार्दिक आभार धीरेन्द्र जी!
Deleteबहुत खूब शालिनीजी ...मज़ा आ गया ...:)
ReplyDeleteजहेनसीब सरस जी .... :-)
Deleteहर मुक्तक बेहतरीन, वाह !!!
ReplyDeleteधन्यवाद अरुण जी!
Deleteबेहद हसीन ख़याल.....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
अनु
shukriya anu ..
Deleteवाह ॥सभी शेर बहुत खूब
ReplyDeletedhanyvaad sangeeta ji!
Deleteकितनी बेमुरव्वती से ताकीद की थी उसने
ReplyDeleteजाना है तो जाओ फिर लौट के मत आना
आज का माहौल यही है। पहले किसी के जाने पर उम्र भर रंज रहता था। और आज का हाल इस शेर की मिसदाक ही है।
शुक्रिया आमिर!
Deleteबहुत ही खूबसूरत हैं आपके ख्याल।.और उनकी प्रस्तुति भी ...लास्ट लाइन में शायद निकाल typo है वह आप निकल लिखना चाहती होंगी अगर ऐसा है तो उसे ठीक कर लीजिये ...शुक्रिया :-)
ReplyDeleteधन्यवाद पंखुरी...गलती कि ओर ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया ..त्रुटिसुधार करदिया है...:-)
Deleteआपकी यह पोस्ट आज के (२० फ़रवरी २०१३) Bulletinofblog पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDeletesab ek se badhkar ek... wahhh
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शेरों की प्रस्तुति,अतिसुन्दर.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत !
ReplyDeleteदिल को छू गयी सभी क्षणिकाएँ !
~सादर!!!
सभी क्षणिकाएं बहुत खूबसूरत और पुरअसर हैं ! भाव भी सुन्दर और कहाँ भी सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletelatest post पिंजड़े की पंछी
Nice Lines & Pictures too. Very Impressive.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ लिखी है मदन मोहन जी...पोस्ट पर पधारने के लिए हार्दिक आभार!
Deleteधन्यवाद दिनेश जी!
ReplyDeleteशालिनी जी बहुत सुंदर लिखा है आपने. बहुत बधाई.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना पढ़ वाई है आपने .बहुत खूब .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव चित्र .सारी भाव कणिकाएं .एक निरंतरता लिए हैं .
ReplyDeleteशालिनी जी बहुत अच्छी शायरी
ReplyDeleteगुज़ारिश : '...सूचना...'
बहुत खुबसूरत हैं सारे.......मुबारक ।
ReplyDeleteIts really very beautifull Shalini ji ,
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