Tuesday, 19 February 2013

खयाल यूँ ही


1.

हरेक बार वो, हरेक बात पे खफा होके  , 
तीर से तंज का तोहफा हमें देता है 
नादानी की उसकी ज़रा हद तो देखो 
जिस दिल में बसे, उसे ही तोड़ देता है






2.

कितनी बेमुरव्वती से ताकीद की थी उसने 
जाना है तो जाओ फिर लौट के मत आना 
उसके जाते हुए क़दमों के निशां देखते हम खड़े थे 
कूचा-ए-यार के सिवा कहाँ अपना कोई ठिकाना 








3.
बेसाख्ता ही निकल गया उसका नाम लबों से 
हमने तो परस्तिश में खुदा की हाथ अपने उठाए थे ,
काफिर बना गया फिर तसब्बुर उस बुत का,
आँखे बंद कर जब, सजदे में सर अपना झुकाए थे


4.

महफिल-ए-शमा की रौनक थी शबाब पे, 

इक जूनून-सा था परवानों की जमात में, 
कौन उस बेदर्द हुस्न के हुज़ूर में जाँ देकर 
नाम दाखिल करवाता दीवानों के दीवान में .
5.
इन्तेज़ार का दिन ढलने चला था ,
उम्मीद की शम्मा को जलाया हमने 
कतरा-कतरा मोम बनके पिघलती रहीं हसरतें दिल में 
आखिरी साँस इधर शमा ने ली, उधर दिन निकल आया .

30 comments:

  1. सजन हमसे मिले भी,लेकिन ऐसे मिले की हाय
    जैसे सूखे खेत से बादल बिन बरसे उड़ जाय,,,,


    Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,

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    1. हार्दिक आभार धीरेन्द्र जी!

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  2. बहुत खूब शालिनीजी ...मज़ा आ गया ...:)

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    1. जहेनसीब सरस जी .... :-)

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  3. बेहद हसीन ख़याल.....
    बहुत बढ़िया...

    अनु

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  4. कितनी बेमुरव्वती से ताकीद की थी उसने
    जाना है तो जाओ फिर लौट के मत आना
    आज का माहौल यही है। पहले किसी के जाने पर उम्र भर रंज रहता था। और आज का हाल इस शेर की मिसदाक ही है।

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  5. बहुत ही खूबसूरत हैं आपके ख्याल।.और उनकी प्रस्तुति भी ...लास्ट लाइन में शायद निकाल typo है वह आप निकल लिखना चाहती होंगी अगर ऐसा है तो उसे ठीक कर लीजिये ...शुक्रिया :-)

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    1. धन्यवाद पंखुरी...गलती कि ओर ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया ..त्रुटिसुधार करदिया है...:-)

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  6. आपकी यह पोस्ट आज के (२० फ़रवरी २०१३) Bulletinofblog पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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  7. sab ek se badhkar ek... wahhh

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  8. बहुत ही सुन्दर शेरों की प्रस्तुति,अतिसुन्दर.

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  9. बहुत खूबसूरत !
    दिल को छू गयी सभी क्षणिकाएँ !
    ~सादर!!!

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  10. सभी क्षणिकाएं बहुत खूबसूरत और पुरअसर हैं ! भाव भी सुन्दर और कहाँ भी सुन्दर !

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  11. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  12. Nice Lines & Pictures too. Very Impressive.

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    1. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ लिखी है मदन मोहन जी...पोस्ट पर पधारने के लिए हार्दिक आभार!

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  13. धन्यवाद दिनेश जी!

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  14. शालिनी जी बहुत सुंदर लिखा है आपने. बहुत बधाई.

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  15. बहुत बढ़िया रचना पढ़ वाई है आपने .बहुत खूब .

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  16. बहुत सुन्दर भाव चित्र .सारी भाव कणिकाएं .एक निरंतरता लिए हैं .

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  17. शालिनी जी बहुत अच्छी शायरी
    गुज़ारिश : '...सूचना...'

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  18. बहुत खुबसूरत हैं सारे.......मुबारक ।

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  19. Its really very beautifull Shalini ji ,

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

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