Tuesday, 30 October 2012

खता मुआफ


खता प्यार करने की है, मुआफी के तलबगार हैं
खता मुआफ हो, हाँ हम  ही गुनाहगार हैं.

कब  तुमने हमसे वफाओं का, कोई सौदा किया था,
जफ़ाओं की तिजारत के तेरी, हम ही खताबार हैं.

दिल की गलती कि वो टूटा, क्यों शीशे का बना था
संग-ए-जफा खा के अब,  बिखरने को भी तैयार हैं

फितरत है हमारी तो अश्कों में जज्ब होने की,
तल्खियाँ तुम्हारी कब, सख्त इतनी बेशुमार हैं

रकीब खुद ही बन बैठे हैं , जाने कैसे अपने प्यार के
दिल चाहे तुम्हें तो रोकें, कहते कि नाफरमाबरदार है.

लुटा के खुदी को बने बैठें हैं हम फ़कीर,
जमाना  समझे  है कि अब भी ज़रदार हैं .



26 comments:

  1. प्यार में खता की माफ़ी तोहोनी चाहिए...
    बहुत ही बढियां गजल....
    बेहतरीन....
    :-)

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    1. सही कहा.......
      धन्यवाद रीना जी

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  2. वाह वाह वाह क्या इरशाद फ़रमाया है आपने शायरे मोहतरम.पढ़ कर दिल भी बाग़ बाग़ हो गया.
    इस बज्मे जहाँ के उम्मीदवार हम भी हैं ,
    आप यूँ ही लिखती रहें पढने को बेकरार हम भी हैं.

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स
    इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड

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    1. आमिर जी... आपकी तो तारीफ भी शायराना अंदाज़ में होती है... ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया!

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  3. वाह ,,,, बहुत खूब,शालिनी जी,,,,

    लुटा के खुदी को बने बैठें हैं हम फ़कीर,
    जमाना समझे है कि अब भी ज़रदार हैं,,,,,,

    RECENT POST LINK...: खता,,,

    .

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    1. धन्यवाद धीरेन्द्र जी..

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  4. माशाल्ला ऐसे ही लिखते रहिये ... दिल खुश हो गया जी.

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    1. धन्यवाद रोहितास जी..

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    2. मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं।
      http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post.html

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  5. बहुत सुन्दर गज़ल...

    अनु

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  6. वाह शालिनी जी क्या बात है तहे दिल से दाद कुबूल कीजिये

    लुटा के खुदी को बने बैठें हैं हम फ़कीर,
    जमाना समझे है कि अब भी ज़रदार हैं .

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  7. खताबार - ख़तावार

    बेहद उम्दा ।

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    1. शुक्रिया इमरान जी... वर्तनी सुधार के लिए धन्यवाद !

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  8. पास से गुजर रहा था सौचा आपके ब्लॉग से मिलते हुवे चलूँ .... मछलियों को दाना खिलाया फिर सौचा आपको मेरी नई पोस्ट के बारे में बताता चलूँ ....

    my recent post :- http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post.html :))

    If I disturb you then Sorry !!

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    1. धन्यवाद रोहतास जी.... हमारे ब्लॉग पर दर्शन देने का... आपके ब्लॉग पर आए, बहुत अच्छा लगा!

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  9. Replies
    1. आपको पसंद आया ... बहुत बहुत धन्यवाद !

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  10. बहुत खूब. सुंदर अशआर है. शुभकामनाएँ.

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  11. लुटा के खुदी को बने बैठें हैं हम फ़कीर,
    जमाना समझे है कि अब भी ज़रदार हैं ... kya baat hai

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  12. तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति शालिनी जी - आभार.

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  13. उम्दा गज़ल,बहुत खूब शलिनी जी ।

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