Monday 27 August 2012

प्यार............. ?



प्यार
एक ऐसा बीज 
जो
अंकुरित होते ही
न सिंचित हो
प्रतिप्रेम के जल से
तो
ह्रदय कि मरुभूमि में ही
दफ़न , 
सूख जाता है

हाँ
अंकुरित हुआ था कभी
इस दिल कि जमीं पर भी
बहुत उम्मीद के साथ 
ताकती थी तुम्हे
शायद आज तो कहोगे
कि हाँ, 
तुम्हें भी
हो गया मुझसे प्यार 
अच्छी लगती हूँ मैं
मेरी सभी खामियों के साथ 
चाहते हो तुम मुझे
दीवानावार

पर शायद तुमने सदा 
उस प्यार को 
अपना अधिकार ही समझा 
और 
मेरा कर्त्तव्य 

पर.. जिस प्यार को देखना चाहा 
तुम्हारी नज़रों में
वो प्यार शायद था ही नहीं
तुम्हारे मन में
हर रोज उम्मीद की एक शमा
जलती - बुझती रही 
और पिघलता मोम 
झुलसाता रहा
प्रेमपल्लव 

आज
तुम करते इज़हार 
कहते बार - बार
कि तुम करते मुझसे प्यार.

मुझे भी परवाह तुम्हारी
हर छोटी - बड़ी बात की फ़िक्र  तुम्हारी
जानती कि नहीं रह पाऊँगी 
 तुम बिन अब
आदत बन चुके हैं 
एक-दूसरे की  हम 
बहुत सोचती हूँ तुम्हारे लिए
पर अब शायद
प्यार............. ?



11 comments:

  1. बहुत खूब प्यार को सही परिभाषित करती उम्दा पोस्ट।

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    1. हार्दिक धन्यवाद इमरान जी.

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  2. गहरी सोच ... सच है प्रेम का अंकुर फूटने के लिए नमी जरूरी है ... प्रेम का गीलापन जरूरी है ... सूखने के बाद बहुत मुश्किल होता है उसका पनपना ...

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    1. बिल्कुल सही कहा आपने दिगंबर जी.... रचना पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!

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  3. .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhaiहाँ
    अंकुरित हुआ था कभी
    इस दिल "कि" जमीं पर भी
    बहुत उम्मीद के साथ
    ताकती थी तुम्हे
    शायद आज तो कहोगे
    कि हाँ,
    तुम्हें भी
    हो गया मुझसे प्यार
    अच्छी लगती हूँ मैं
    मेरी सभी खामियों के साथ
    चाहते हो तुम मुझे
    दीवानावार.....बेशक प्यार से ज्यादा प्यारा ,खूबसूरत होता है इजहारे प्यार ....बढिया रचना है .....इस दिल" की" ज़मीं ....पर तथा ताकती थी "तुम्हे"
    "तुम्हें "
    करें ,शुक्रिया !मंगलवार, 28 अगस्त 2012
    आजमाए हुए रसोई घर के नुसखे
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    Hip ,Sacroiliac Leg Problems
    Hip ,Sacroiliac Leg Problems(हिन्दुस्तानी जबान में भी आ रहा है यह मह्त्वपूर्ण आलेख ,विषय की गभीरता और थोड़ी सी

    क्लिष्टता को देख कर लगा पहले एक बेकग्राउंडर आधारीय आलेख अंग्रेजी में दिया जाए ताकी विषय की एक झलक तो मिल जाए वायदा है समझाया जाएगा यह आलेख हिंदी में ,अभी इस श्रृंखला के तीन -चार आलेख और आने हैं ,अब तक जो इस अभिनव विषय पर आप लोगों का रेस्पोंस मिला है उससे हौसला बढ़ा है ).

    Hip ,Sacroiliac Leg Problems

    Chiropractic Bringing out the Best in you

    A Masterpiece Of Engineering

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    Replies
    1. धन्यवाद वीरेंद्र जी!

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  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

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  5. पर.. जिस प्यार को देखना चाहा
    तुम्हारी नज़रों में
    वो प्यार शायद था ही नहीं
    तुम्हारे मन में
    aksar yahi hota hai ...fir bhi pyar to ho hi jata hai ....
    bahut sundar rachana ke liye abhar shalini ji .

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद नवीन जी!

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  6. प्यार
    एक ऐसा बीज
    जो
    अंकुरित होते ही
    न सिंचित हो
    प्रतिप्रेम के जल से
    तो
    ह्रदय कि मरुभूमि में ही
    दफ़न ,
    सूख जाता है
    प्रेम की खूबसूरत परिभाषा |

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    Replies
    1. धन्यवाद जय कृष्ण जी!

      Delete

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