गम
आंसू, आहें,तड़पन, उलझन
गम नहीं, इज़हार-ए-गम हैं.
वर्ना गम तो वो है
जो मानिंद-ए-नासूर
भीतर ही भीतर रिसता है
इस ज्वालामुखी का लावा तो
पिघल, रगों में ही बह उठता है
खुशी
फकत होंठो पे ही नहीं खिलती
ये तो हर गुन्चे को महकती है
खुशी तो वो है जो खुदा का नूर बन
जहाँ को रौशन बनाती है
जब छिड़क देती है रंग अपने
फलक पे इन्द्रधनुष यही सजाती है.
बहुत खूब मैम
ReplyDeleteसादर
आभार यशवंत जी!
Deleteख़ुशी और गम को
ReplyDeleteसुन्दरता से व्यक्त किया है..
बहुत बेहतरीन रचना...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
धन्यवाद रीना जी ..आपको भी स्वतंत्रता दिवस कि शुभकामनाएँ!
Deleteहृदयस्पर्शी उत्कृष्ट
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी!
Deleteकभी खुशी कभी गम जीवन में चलते रहेगें हरदम,,,,,
ReplyDeleteवे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
अब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
RECENT POST...: शहीदों की याद में,,
धन्यवाद धीरेन्द्र जी!
Delete"खुशी तो वो है जो खुदा का नूर बन
ReplyDeleteजहाँ को रौशन बनाती है
जब छिड़क देती है रंग अपने
फलक पे इन्द्रधनुष यही सजाती है"
बहुत सुंदर !
हार्दिक आभार सुशीला मैम!
Deleteदोनों में बीच का अंतर स्पष्ट किया है सुन्दर है ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद इमरान जी!
Deleteगागर में सागर से भाव।
ReplyDeleteईद की दिली मुबारकबाद।
............
हर अदा पर निसार हो जाएँ...
धन्यवाद अर्शिया...... आपको भी ईद कि बहुत बहुत शुभकामनाएँ.... हालाँकि कुछ देर हो गई है बढ़ी देने में ... पर खुदा करे आपका हर दिन ईद हो.
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अमरेंदर जी!
Deleteदोनों भाव कणिकाएं बहुत रागात्मक और मनोहर हैं .बढिया शब्द चयन और आनुप्रासिक छटा समध्वनिक शब्दों की पुनरावृत्ति की .सियाटिका की पहली किस्त हिंदी में आ चुकी है अपने ब्लॉग अपर ही पढ़ लें .आपने एड लगाईं तो हमने हिंदी में भी लिख दिया .बस मन किया ,इस मर्तबा अंग्रेजी में लिख दिया .
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद वीरू भाई, आपने मेरे अनुरोध पर अपनी पोस्ट का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया ...हर्दिक् आभार!
Deleteबहुत अच्छी पोस्ट। मरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteधन्यवाद प्रेम जी!
Deleteआंसू, आहें, तड़पन, उलझन
ReplyDeleteगम ही नहीं, इज़हार-ए-गम हैं !
क्या ना सहा ? जीवन में हमने
जो ना कह सका,वह ही कम है!
धन्यवाद सतीश जी!
Deleteख़ुशी के सब सतरंगी रंग समेटे आपकी नजमिका आई है बेहतरीन पैरहन -ए - अंदाज़ है इस इजहारे गम का और ख़ुशी की बहर का अब यह आलेख हिंदी में अपनी समग्रता में पुन "हाज़िर है आपकी पेश कश पर कृपया आएं कृतार्थ करें ,आभार अग्रिम आपका .. कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteशनिवार, 25 अगस्त 2012
आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html
शुक्रिया शालिनी जी आप लोगों से ही इस लेखन का सार है ,वरना सब बेकार है हिंदी जनप्रिय सेहत विज्ञान के लिए एक जगह बने इससे बड़ी बात हमारे देश समाज और परिवार के लिए क्या हो सकती है लोग हिंदी पढ़ें उससे अनुराग रखें इसी के लिए तो यह सारी ज़द्दोज़हद है .आप जैसे लोगों के प्रोत्साहन और संलग्नता से ही यह मिहीम आगे बढ़ेगी .
ReplyDeleteअभिव्यक्ति से परे ... जो मन की अभिव्यन्ति है उसको लिखा है आपने ... गम और खुशी के नए मायने ... लाजवाब ...
ReplyDeletedhanyvaad digambar ji!
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