यादें खँगालने के लिए
ज़रूरी नहीं
कि यादों के शांत जल में
पत्थर ही फेंका जाए
एक छोटी सी बूँद ही
भँवर उठा देती है
दूर - दूर तक उठती हैं तरंगें
वर्तमान का प्रतिबिम्ब मिटा देती हैं.
और भँवर के हर वलय में
दिखते हैं
अतीत के चलचित्र
जो एक दूसरे में मिल
और भ्रमित कर जाते हैं
और अतीत की छाप
हम अपने वर्तमान पर लिए
कुछ और स्मृतियाँ
सहेज उन्हें
दिल के ड्राइंग रूम की
दीवारों पर सजाते हैं
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