Sunday 17 April 2022

रीता मन

 

रीता मन - रीते नयन, भीगे-भीगे पल क्या लिखूँ?

सूना आँगन - सूना उपवन, उल्लास प्रेम का क्या लिखूँ?

 

वे सावन संग भीगे थे हम, रुत वसंत झूमे थे संग,

मकरंद प्रेम का बिखरा था, बूँदों में तन-मन पिघला था,

तुम संग सब मौसम बीते, पतझड़ का सूनापन क्या लिखूँ ?

 

वो हाथ लिए हाथों में जब, आँखों में बातें होती थीं,

पुलकित-पुलकित दिन होते थे, पूनम की रातें होती थीं ,

तुम संग गए सभी उजियारे, मावस का तम क्या लिखूँ ?

  

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