आप रंगों की पत्रकारिता करते रहिए।
प्रत्येक रंग पर
किसी राजनैतिक दल का
ठप्पा लगाइए
और फिर रंग से जोड़कर
घटनाओं को मनचाहा जामा पहनाइए।
रंगों के धर्म बताइए
एक रंग को दूसरे का विरोधी बताकर
आपस में और रंगों से
लड़ने के लिए उन्हें उकसाइए।
फिर वो एक रंग
जो जमीन पर बहे
उस रंग को लेकर फिर हाहाकार मचाइए।
किसी रंग को कभी चाटुकारिता का
तो किसी को आक्रामकता का
पैरोकार बताइए।
आखिर ..... ऐसे ही तो कोई धर्मनिरपेक्ष नहीं बन जाता।
प्रत्येक रंग पर
किसी राजनैतिक दल का
ठप्पा लगाइए
और फिर रंग से जोड़कर
घटनाओं को मनचाहा जामा पहनाइए।
रंगों के धर्म बताइए
एक रंग को दूसरे का विरोधी बताकर
आपस में और रंगों से
लड़ने के लिए उन्हें उकसाइए।
फिर वो एक रंग
जो जमीन पर बहे
उस रंग को लेकर फिर हाहाकार मचाइए।
किसी रंग को कभी चाटुकारिता का
तो किसी को आक्रामकता का
पैरोकार बताइए।
आखिर ..... ऐसे ही तो कोई धर्मनिरपेक्ष नहीं बन जाता।
बहुत ही शानदार प्रस्तुति...
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी
Deleteधन्यवाद संजय जी
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