तू
मेरे जीवन का अमृत, तू
ही है जीवन हाला|
तू
ही मधुरस है जीवन का, तू ही है विष का प्याला|
हैं
कैसे तार जुड़े तुमसे, क्यों स्वर ये एकाकार हुए,
बन
जीवन का गीत कभी, तुम मुझमें साकार हुए,
मन
वीणा के तार छेड़, अंतर को झंकृत कर डाला|
तू
मेरे जीवन ............
कभी
टूटे सुर-से रूठे तुम, कभी मधुयामिनी राग हुए,
प्रीत
रंग-रस सरसे तो, कभी जोगी बन विराग हुए,
शीतल
मंद बयार कभी, दहके बन करके ज्वाला|
तू
मेरे जीवन का अमृत ......
शालिनी
रस्तौगी
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