Thursday, 11 December 2014

रिक्तता


अजीब विरोधाभास है 
~~~~~~~~~~~~~
रिक्तता का अहसास 
कितना भारी कर देता है मन
कभी मन के 
किसी कोने में
किसी की आहट सुनने को
कुछ सुगबुगाहट सुनने को
भटकते, टकराते फिरते
अपने ही मन की दीवारों से
पर भरी होती है वहां
हर ओर सिर्फ
रिक्तता
~~~~~~
है न

1 comment:

  1. 'रिक्तता' और 'अदाकारा' भीतरी अशांति, दुःख, पीडा का प्रतिनिधित्व करती है। आसपास का माहौल मनुष्य मन पर गहरी छाप छोडता है। कई आघातों को मीठी मुस्कान के विविध रंग देकर छिपाता है, पर खाली 'रिक्त' समय गहराई में जाकर अपना मूल्यांकन खुद करता है। हो न हो दोनों कविताएं एक-दूसरे के साथ जुडती है।

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