१............एक और सोच
सोचा......
आज फिर
कुछ अलग सोचें
अलग से ख्याल, नए अल्फाज़,
अंदाज़ ए बयाँ भी जुदा खोजें
कोशिश कि लाख मगर
मुमकिन ये हो न पाया
हर ख्याल में अपने
हमख्याल किसी को पाया
कभी इनसे तो कभी उनसे
कभी किसी और से तो कभी तुमसे
मिल ही जाते हैं
ख्यालों के सिरे
अब ऐसे में भला कोई कैसे
नए सिरे से सोचे????
२. ...... एक और इंतज़ार
इंतज़ार है मुझे
उस पल का
जब
तुम्हारे होने, न होने से
तुम्हें पाने या खोने से
मुझे फर्क न पड़े
पर शायद
इस पल के लिए
मुझे करना पड़े इंतज़ार
उस पल का
जब मेरे खुद के होने का
मुझे पता न चले............
सोचा......
आज फिर
कुछ अलग सोचें
अलग से ख्याल, नए अल्फाज़,
अंदाज़ ए बयाँ भी जुदा खोजें
कोशिश कि लाख मगर
मुमकिन ये हो न पाया
हर ख्याल में अपने
हमख्याल किसी को पाया
कभी इनसे तो कभी उनसे
कभी किसी और से तो कभी तुमसे
मिल ही जाते हैं
ख्यालों के सिरे
अब ऐसे में भला कोई कैसे
नए सिरे से सोचे????
२. ...... एक और इंतज़ार
इंतज़ार है मुझे
उस पल का
जब
तुम्हारे होने, न होने से
तुम्हें पाने या खोने से
मुझे फर्क न पड़े
पर शायद
इस पल के लिए
मुझे करना पड़े इंतज़ार
उस पल का
जब मेरे खुद के होने का
मुझे पता न चले............
वाह मैम!....बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद यशवंत!
DeleteBAahut khoob
ReplyDeleteधन्यवाद जितेन्द्र !
Deleteबहुत सुन्दर.....
ReplyDeleteहर ख्याल में अपने
हमख्याल किसी को पाया....
दोनों रचनाएँ खूबसूरत..
अनु
धन्यवाद अनु जी !
Deleteइधर उधर के खयाल भी बहुत खूबसूरत हैं ...
ReplyDeleteसंगीताजी, इधर उधर के ख्यालों पर ध्यान देने के लिए हार्दिक आभार!
Deleteअक्सर उलझे ख्यालों के सिरे ढूँढने और उन्हें सुलझाने में उम्र बीत जाती है.अच्छा लिखा है.
ReplyDeleteधन्यवाद निधि जी !
Deleteएक और सोच और इंतज़ार ...एक से एक उपजी ...बहुत सुन्दर और सरल ...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद भावना जी!
Deleteदोनों ही सुन्दर ......पर मुझे दूसरा वाला बहुत अच्छा लगा........शानदार।
ReplyDeleteइमरान जी , बहुत बहुत शुक्रिया!
Deleteसच है..ऐसे में कोई कैसे भला नए सिरे से सोचे... बहुत उम्दा |
ReplyDeleteधन्यवाद निशांत जी!
Deleteखूबसूरत रचना....
ReplyDeleteधन्यवाद माही जी!
Deleteसार्थक, सुन्दर सृजन, बधाई.
ReplyDeleteशुक्ला जी, धन्यवाद!
Deleteकमाल है ....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !!
सतीश जी, धन्यवाद!
Deleteपिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
ReplyDelete....... रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
शालिनी जी नमस्ते !
ReplyDeleteहर ख्याल में हमखयाल जो कोई मिल जाए ...
क्यों कोई तनहा रहे सफ़र गुफ्तगू में कट जाए ...
*************************************************
दोनों खुबसूरत ख्याल ... शुभकामनाएं ..
आपको मेरा लेखन अच्छा लगा इसके लिए बहुत शुक्रिया ... आते रहिएगा ...
DeleteBrilliant poems ma'am! your poems are a source of inspiration for us to be more creative like you.....
ReplyDelete"हर ख्याल में अपने
ReplyDeleteहमख्याल किसी को पाया "
बहुत सुंदर शालिनी मैम !
"हर ख्याल में अपने
ReplyDeleteहमख्याल किसी को पाया "
बहुत सुंदर शालिनी मैम !
bahut umda rachna ,bdhai aap ko
ReplyDeletesundar rachna hai!
ReplyDeletebahut sundar rachnaye
ReplyDeleteachhi anubhooti.........
ReplyDeleteइंतज़ार है मुझे
ReplyDeleteउस पल का
जब
तुम्हारे होने, न होने से
तुम्हें पाने या खोने से
मुझे फर्क न पड़े
mushkil hai aisa hona ....fark to padata hi hai...achachhi rachana ke liya badhai