Monday 6 February 2012

वाकिफ़ हो तुम........

इस दिल कि हर एक धडकन से ,पल - पल बढती इस उलझन से, 
मुँह  फेर  लिया तुमने तो क्या, वाकिफ़ हो तुम भी अनजान नहीं,

जज़्बात तुम्हारे दिल में भी , सर जब-तब अपना उठाते है 
क्यों गला घोटते तुम इनका, आशिक हो,कातिल -सैयाद नहीं. 

इंतज़ार की लम्बी घड़ियों का, हिसाब तुम्हें भी हर-पल का 
अपनी ही चिट्ठी लिख के  फाड़ो, कातिब हो, अपने रकीब नहीं.

गढ़ते हर रोज़ नया किस्सा , करते हर रोज़ नया नखरा,
नहीं मिलना तो न मिलो हमसे, हम भी कुछ कम खुद्दार नहीं 

हाँ, सच है दिल पे जोर कभी , होगा न हुआ है अब तक कभी ,
ये जोर अजमाइश फिर क्यों कर , क्या खुद पे तुम्हें एतबार  नहीं.

कुछ ख्वाब अभी तक बाकी  है , उम्मीद भी शीशा ए दिल में   
तुम आओ, आके तोड़ो इन्हें, बस इतना ही अब इंतज़ार सही .


15 comments:

  1. इंतज़ार की लम्बी घड़ियों का, हिसाब तुम्हें भी हर-पल का
    अपनी ही चिट्ठी लिख के फाड़ो, कातिब हो, अपने रकीब नहीं.

    हर लफ्ज भावनाओं को बेहतर तरीके से अभिव्यक्त कर रहा है .....! भावपूर्ण रचना ...!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद केवल राम जी !

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  2. हाँ, सच है दिल पे जोर कभी , होगा न हुआ है अब तक कभी ,
    ये जोर अजमाइश फिर क्यों कर , क्या खुद पे तुम्हें एतबार नहीं.

    क्या बात कही मैम !
    बहुत ही बढ़िया।

    सादर

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    1. यशवंत जी , हौंसला अफजाई के लिए शुक्रिया !

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  3. हाँ, सच है दिल पे जोर कभी , होगा न हुआ है अब तक कभी ,
    ये जोर अजमाइश फिर क्यों कर , क्या खुद पे तुम्हें एतबार नहीं... bahut khoob

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    1. रश्मि जी, हार्दिक आभार !

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  4. "हाँ, सच है दिल पे जोर कभी , होगा न हुआ है अब तक कभी ,
    ये जोर अजमाइश फिर क्यों कर , क्या खुद पे तुम्हें एतबार नहीं."
    सुंदर !

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    1. धन्यवाद सुशीला जी !

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  5. वाह ..
    बहुत सुन्दर गज़ल...

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  6. कुछ ख्वाब अभी तक बाकी है , उम्मीद भी शीशा ए दिल में
    तुम आओ, आके तोड़ो इन्हें, बस इतना ही अब इंतज़ार सही .

    khoobsoorat...

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  7. कुछ ख्वाब अभी तक बाकी है , उम्मीद भी शीशा ए दिल में
    तुम आओ, आके तोड़ो इन्हें, बस इतना ही अब इंतज़ार सही .

    khoobsoorat andaaz.....

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  8. सुभानाल्लाह.....हर शेर उम्दा और बेहतरीन......दाद कबूल करें|

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    Replies
    1. शुक्रिया इमरान जी....

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  9. कुछ ख्वाब अभी तक बाकी है , उम्मीद भी शीशा ए दिल में
    तुम आओ, आके तोड़ो इन्हें, बस इतना ही अब इंतज़ार सही .

    भावपूर्ण खूबसूरत प्रस्तुति.
    आपकी काव्य प्रतिभा कमाल की है.
    प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार,शालिनी जी.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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