Wednesday, 8 February 2012

छोटा-सा ......ख्याल

हाँ , 
बस अभी-अभी तो आया था ,
एक ख्याल,
छोटा-सा ......ख्याल 
एक नव अंकुर कि तरह 
दिल कि ज़मीन को चीर 
सर निकाल 
बस पनपना ही चाहता था,
और ज्यादा भी क्या
चाहिए था उसे 
बस 
सांत्वना कि हलकी सी बौछार 
उम्मीद के मंद मंद झोंकों का 
हौले से सहला जाना ,
हिम्मत कि कुनकुनी धूप 
और 
दो हथेलियाँ जो उसे बचा पातीं ,
उसके नव पल्लवों को सहला 
उसके पल्लवित हो पाने का 
ख्याल के असलियत में बदल जाने का 
हौंसला दे पातीं 
पर.........
ज्यों ही तनिक अंगडाई - सी  ले 
मुंदी पलकों को खोल 
देखा जो चंहु  ओर
हर निगाह 
एक सवाल बन 
उस पर ही गढ़ी थी 
सकुचा कर समेटना चाहा उसने 
पत्तियों को भीतर अपने 
अचानक 
न जाने कहाँ से 
चारों ओर सर उठाने लगीं
बंदिशों की दीवारें 
नन्हा ख्याल ......... बेतरह डर
छिप जाना चाहता था  दोबारा 
दिल की कोख में 
जहाँ से जन्मा था वो 
तभी देखीं दो हथेलियाँ , बढती अपनी ओर
कुछ उम्मीद-सी जगी  
अपने पनप पाने  की 
पर 
सहारा देने वाली वाली
वो  हथेलियाँ 
बेदर्दी से कुचल रहीं थीं उसे 
इस तरह जन्मते ही 
फ़ना हो गया 
वो एक छोटा-सा ख्याल............

24 comments:

  1. वाह!!!
    सुन्दर अभिव्यक्ति...
    मगर ख्याल हार नहीं मानता...वो फिर जन्मेगा ..और कविता का सृजन होगा ज़रूर...

    शुभकामनाएँ.

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  2. बहुत ही बढ़िया मैम!


    सादर

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  3. बस अभी-अभी तो आया था ,
    एक ख्याल,
    छोटा-सा ......ख्याल
    एक नव अंकुर कि तरह
    दिल कि ज़मीन को चीर
    सर निकाल
    बस पनपना ही चाहता था,
    और ज्यादा भी क्या
    चाहिए था उसे ... बहुत गहन पर सरल

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  4. रश्मि जी, यशवंत जी एवं विद्या जी , आप सभी का धन्यवाद ! हार्दिक आभार !!

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  5. रोचक चित्रमयी प्रस्तुति

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  6. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति शालिनी जी, धन्यवाद! हलचल से पहली बार आना हुआ आपके ब्लौग पर, अच्छा लगा.

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  7. http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/02/blog-post_09.html

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  8. वाह...कितनी सरलता से इतनी गूढ़ बातें कह दी...सुन्दर अभिव्यक्ति...

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    Replies
    1. धन्यवाद स्वाति जी !

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  9. शायद ख्याल ऐसे ही जन्मते हैं और देखते ही देखते वो इच्छाओं के बड़े पेड़ बन जाते हैं ।

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    1. इमरान जी, शायद कुछ ख्यालों की किस्मत में इच्छाओं का वृक्ष बन जाना लिखा हो पर कुछ ख्याल जो ह्रदय में ही दम तोड़ देते है...बस उन्ही बेजुबान ख्यालों के नाम ............... रचना पर गौर करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!

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  10. कितनी निर्ममता से कुचला गया ख्याल .. बहुत भावभीनी अभिव्यक्ति

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  11. गहन अभिव्यक्ति जो अपने आपमें बहुत कुछ कह रही है...

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    Replies
    1. धन्यवाद पल्लवी जी !

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  12. बहुत गहन सुंदर अभिव्यक्ति...

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    Replies
    1. धन्यवाद कैलाश जी....रचना पर ध्यान देने के लिए आभार!

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  13. छोटा किन्तु बड़ा खुबसूरत ख़याल..

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  14. न जाने कहाँ से
    चारों ओर सर उठाने लगीं
    बंदिशों की दीवारें
    नन्हा ख्याल ......... बेतरह डर
    छिप जाना चाहता था दोबारा
    दिल की कोख में
    जहाँ से जन्मा था वो
    Nari jeevan ka sabse bada abhishap BANDISH ....behad prabhavshali rachna ....manh sthitiyo ka sajeev rekankan ..bahut bahut badhai

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  15. gahan anubhuti v sarthak post hae. bdhai.

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  16. अनुपम भाव संयोजन लिए ...

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  17. बहुत ही बेहतरीन कविता है.

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  18. वाह क्या बात हैँ बहुत सुंदर रचना ये पंक्ति दिल को छु गई ...
    सहारा देने वाली वाली
    वो हथेलियाँ
    बेदर्दी से कुचल रहीं थीं उसे
    इस तरह जन्मते ही
    फ़ना हो गया
    वो एक छोटा-सा ख्याल............

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